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8 जनवरी, 2024
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आख़िर इस नए साल में क्या नया है वही रोज़ की मारामारी, जीवन जीने की लाचारी

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नया साल बस आ गया। हर कोई इसे अपने तरीके से मनाया। नए साल पर हर कोई कुछ अलग और अच्छा करने की सोच रहा। नया साल बस यही है, हंसे, मुस्कुराएं नए साल में गीत गाते रहें, गुनगुनाते रहें हैं ये शुभ-कामनाएं नए साल में रेत, मिटटी के घर में बहुत रह लिए, घर दिलों में बनाएं नए साल में अब न बातें दिलों की दिलों में रहें, कुछ सुने, कुछ सुनाएं नए साल में जान देते हैं जो देश के वास्ते, गीत उनके ही गाएं नए साल में भूल हमको गए हैं जो पिछले बरस,हम उन्हें याद आयें नए साल में इस साल हमने बहुत सोचा विचारा, यहां तक कि अपना सर तक दीवार पे दे मारा, बहुतों से पूछा बहुतों ने बताया, फिर भी यह रहस्य समझ में नहीं आया कि कल और आज में अंतर क्या है, आख़िर इस नए साल में क्या नया है वही रोज़ की मारामारी, जीवन जीने की लाचारी, बढ़ती हुई महंगाई सरकार की सफ़ाई, राशन की लाइन, ट्रैफ़िक का फाइन, गृहस्थी की किचकिच, आफ़िस की खिचखिच, सड़कों के गढ्ढे, नेताओं के फड्डे लेफ्ट की चाल, बेटी की ससुराल, मुर्गी या अंडा, अमरीका का फंडा खून का स्वाद, धर्म का उन्माद, एक सा अख़बार, फिर मर गए चार राष्ट्रगान का अपमान, मेरा भारत महान, आज भी है वही जूता लात न हम बदले हैं न हालात, सिर्फ़ सफ़ेद हो गए चार बाल, क्या इस लिए मनाएं नया साल, अभी हमारा मन, इस चक्कर से नहीं था निकल पाया तभी हमारा बेटा हमारे पास आया,बोला पापा क्या आप इस साल भी रोज़ आफ़िस से लेट आओगे, हमारे साथ बिल्कुल टाइम नहीं बिताओगे, और आ के सारा टाइम सिर्फ़ टीवी निहारोगे, आफ़िस का सारा गुस्सा भी घर पर उतारोगे,सच कहूं, जो साथ ले के चलते हैं दुनिया के ग़म उनकी उम्र हो जाती है दस साल कम, क्या फ़र्क पड़ता है कि क्या होगा कल खुश रहो आज जियो हर पल, जानते हैं मैंने ये पिटारा क्यों खोला है क्योंकि चार दिन हो गए, आपने मुझे अभी तक हैप्पी न्यू इयर नहीं बोला है तब हमें ये समझ में आया कि कुछ बदलने के लिए हर पल मनाना बहुत ज़रूरी है और हर खुशी बिना अपनों के साथ के अधूरी है, नव वर्ष की शुभकामना हैप्पी न्यू इयर।आख़िर इस नए साल में क्या नया है वही रोज़ की मारामारी, जीवन जीने की लाचारी

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