अपना मानो देश को, मानो घर परिवार, कैसे ना हो फिर भला, कचरे का निस्तार। कोशिश हो तो छोड़िये, खैनी गुटखा पान, थूक–थूक कर ना करें, गंदा हिंदुस्तान। शहर-गली में चर्चा है, स्वच्छ भारत अभियान की! आओ शहरवासियों तुम्हें बताएं, महत्ता कचरा दान की। बिना प्रबंधन बीमारी, फैले जो दुश्मन जान की। उचित प्रबंधन खाद बनाता, करता मदद किसान की।
शहर-गली में चर्चा है, स्वच्छ भारत अभियान की! कपड़े की झोली विकल्प है पॉलीथिन की थैली की। स्वच्छ रखो सुंदर रखो, भारत देश विशाल। आओ बनाएं साथियों, हिन्दोस्तां ख़ुशहाल। करो जतन हो जाए यह, सारा जग हैरान इस तरहा हो स्वच्छता, चमके हिंदुस्तान। घर की करते नित्य हम, देखभाल भरपूर वैसी ही इस देश से, करो गंदगी दूर। मगर हद यह, शहर दर शहर कचरों के ढ़ेर पर है और उसके जनप्रतिनिधि एशगाह में आराम फरमा रहे हैं।
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