लहेरियासराय का नेहरू स्टेडियम। दरभंगा के इतिहास की हर घास गवाह है। कभी दरभंगा महाराज की शान हुआ करता था स्टेडियम। कभी देश के दिग्गज खिलाड़ियों की आन हुआ करता था स्टेडियम। हाल में कुछ दिग्गज जनप्रतिनिधियों ने यहां इसी स्टेडियम में दिग्गज क्रिकेटरों को उतारने के हसीन सपने दिखाए थे।
यह वही स्टेडियम है जहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पिच बनाने की कवायद दिखी मगर यह वही स्टेडियम है जहां की एक-एक ईंट को जंग खा गई। यह वही स्टेडियम है जहां लंबी होती घासों की सफाई का वक्त प्रशासन के पास नहीं है लेकिन कागजों में इस स्टेडियम की तस्वीर व तकदीर चमकाने की कई बार कवायद हुई मगर,
हर बार हालात यही, ना मैं बदला हूं,ना आदतें बदली हैं, बस वक़्त बदला है और तुम नजरिया बदल लो। बहुत आसान होता है कोई उदाहरण पेश करना लेकिन…बहुत कठिन होता है खुद कोई उदाहरण बनना। दोस्तों, काग़ज़ पे तो अदालतें चलती है..हमने तो तेरी आंखों के फैसले मंजूर किए।