
बैंकों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। न तो पुलिस को इसकी चिंता है न ही बैंककर्मियों को। दिनदहाड़े बैंक से निकलने वाली महिलाओं से लेकर आम लोग लूट के शिकार हो रहे। दरभंगा में तो बाइकर्स गैंग काफी सक्रिय है इन दिनों। हालात यह है कि सेवानिवृत्त अफसर से लेकर कॉलेज की प्रिसिंपल तक लूट रहे हैं। पुलिस अलर्ट का कोई असर नहीं दिख रहा। सुरक्षा की बात तो छोड़ दें बैंक से निकले कि नहीं हो गई छिनतई वाली रोनी सूरत में शहर खड़ा कराह रहा। बैठक होती है। पुलिस से लेकर बैंक को संयुक्त रुप से निर्देश जारी किया जाता है मगर अपराधी कोई निर्देश मानते नहीं देने की स्थिति में हैं। बैंक अपने परिसर में अंदरुनी सुरक्षा का ख्याल नहीं रख रहा। बेवजह बैंकों का चक्कर लगाने वालों को पुलिस चिन्हित नहीं कर रही। सीसीटीवी फुटेज की नियमित जांच नहीं हो रही कि वह दुरूस्त भी है या नहीं। होना तो यह चाहिए था कि बीच-बीच में बैंकों व एटीएम का औचक निरीक्षण बैंक व गश्ती पार्टी करे मगर करता कौन है। एटीएम में कैंसल, डीलिट के बटन सही से कार्य कर रहे या नहीं इसकी कभी जांच भी होती होगी या उसकी जरूरत भी कोई महसूसता होगा इस शहर में शायद नहीं ही। हालात यही है, भरोसा दूसरों पर रखो तो गम दे जाती हैं, भरोसा ख़ुद पर रखो तो ताकत बन जाती हैं…। यहां के प्रशासनिक बाबू बस सोफे पर आराम फरमाने वाले हैं। मंडलकारा में छापेमारी को जाते हैं। घंटों लाइन में खड़े रहते हैं और दो ही सिपाही को सस्पेंड कर पाते हैं। ऐसे मजबूरिए हाल में ए मेरे दोस्त… तुम भी इस शहर में बन जाओगे पत्थर जैसे,हंसने वाला यहां कोई है न रोने वाला।
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