मोबाइल की वजह से सारा ज़माना गड़बड़ा रहा है
कभी लगता है, आदमी अकेले में बड़बड़ा रहा है
मंदिर अस्पताल और शमशान में भी शांति नहीं है
मोबाइल की रिंगटोन कम्बख़्त कभी मानती नहीं है
हालांकि स्विच ऑफ – साइलेंट से मनाया जा सकता है
पर इसी बीच कोई अर्जेंट कॉल भी आ सकता है
क्या करें…. जीवन का नेटवर्क ही बिज़ी है
तभी तो ये चोरों के मकड़ जाल से
आम आदमी परेशान है
मोबाइल की वजह से सारा ज़माना गड़बड़ा रहा है
छोड़ मोबाइल का पीछा
छोड़ दो मोबाइल का पीछा
फिक्र करो अब भविष्य की।
चोर,
मोबाइल से अपने दोस्तों में खूब मशहूर हुए,
लेकिन अपने घर वालों से दूर हुए।
जानता हूं बन गई चोरी एक आदत है,
इसके बिना तुमको नींद नहीं आती है,
तुमको लगता है यह साथी अपना,
मगर यकीन मानो यह नहीं है अपना।
छोड़ दो मोबाइल का पीछा
फिक्र करो अब भविष्य की।
कितने वारदात करोगे, कितने बर्बाद हुए और कितने हो रहे हैं,
अब भी वक्त है तुम संभल जाओ,
छोड़ के मोबाइल का पीछा, तुम अपनी राह बनाओ।
जब कोई दर्द मिलेगा, तब कोई हमदर्द नहीं मिलेगा
अब भी वक्त है संभल जा,
दादा कहिन, ए चोर
मोबाइल का पीछा छोड़ अपना उज्जवल भविष्य बना।
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