घूसखोरी देश से लेकर दरभंगा तक नासूर बनकर सामने है। हालात यह, लाखों का धन है तो भी, क्यों आज भिखारी बन बैठे,काले धन की पूजा करके, जाने कैसे तन बैठे, भूल गए, बचपन में तुम भी, खिलौना देख रो देते थे, आज कैसे उन नन्हें हाथों से, खेलने का हक़ ले बैठे। एक आदमी पेट काट कर, अपना घर चलाता है, खून पसीना बहा बहा कर, मेहनत की रोटी खाता है।
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खुद भूखा सो जाए पर, बच्चों की रोटी लाता है। तू उनसे छीन निवाला, जाने कैसे जी पता है। सावधान हे, भ्रष्ट राजनीति। तुम इतना भी ना इतराना, तेरी काली करतूत से वकिफ है आज ये सारा जमाना, अगली बार प्रजातंत्र का पाठ, है तुझको सिखलाना,आखिर कब तक सहेंगें हम ? अब वो लद गया जमाना, हर गंदे नेता को अपने निर्वाचन क्षेत्र से खदेड़ दो। ख़त्म होगी यह घटा अंधेरी, अब सूरज तुम छटा बिखेर दो।
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