शिक्षा शिक्षक से मिले , शिक्षक की ही पौर । शिक्षक ही वह देव है ,जिस सम कोई न और॥ आर्यावर्त यह देश है ,सुन लो जरा अतीत।
चलते गुरुकुल थे यहां, यही पुरानी रीति ॥
राम लखन मुनि साथ में,
तब विद्या पाई हाल ।
मुनि मख की रक्षा करी,
भये राक्षश कुल के काल॥
यहीं वह व्रज की भूमि है,
जहं जन्मे थे व्रजराज।
व्रज को देकर बाल सुख,
किए सुरों हित काज ॥
वह भी गुरुकुल में पढे ,की गुरू की मरजाद ।
विप्र सुदामा के साथ में,
गुरु मां से ले परसाद॥
हुए अर्जुन से योद्धा यहीं , जिनके गुरू थे द्रोण।
लक्ष्य भेद सीखा पार्थ ने, व व्यूह भेद हर कोण ||
महापुरुष गुरू कृपा से ,हुए जगत विख्यात | प्रताप, परशु व भीष्म का,
नहीं पौरुष किसको ज्ञात।
शिक्षक दिवस शिक्षकों को,
सदा रहा प्रेरणाश्रोत।
शिक्षक शिष्य के मध्य नहीं, जाती धर्म व गोत्र।
शिक्षक दिवस में सब शिक्षक ,करके निज ह्रदय स्वतंत्र।
शिष्यों को दें शुभकामनाएं , व निज उन्नति के मंत्र ।|
यह भाव कभी शिक्षकों के लिए हमारे-आपके जेहन से जुड़ा था, मगर आज हालात बदल गए हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अक्षर ज्ञान तक नहीं है मगर है तो वह है डिग्री जिसके बूते वह सरकारी संस्थानों में शिक्षक बनकर बच्चों को कितना और क्या पढ़ा रहे इसी पोल खोलती प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट राणा दत्ता की यह दादा कहिन…