सरकार हितैषी योजनाएं गरीबों व बेसहारों से दूर दलालों के चंगुल में बुरी तरह कराहने को विवश है। सरकार की मंशा भले जो है मगर उनके हाकिमों की सोच स्पष्ट व साफ है कि योजनाओं से उनकी पेट भरपेट भरे। इसके लिए दलाल हर दफ्तर में सक्रिय हैं और उनकी हैसियत अफसरों से कहीं इतर कम नहीं। लिहाजा, हालात यही है,
पात्र बेचारे भूखे सोते हैं, अपात्र डकारें लेते हैं। अपने सारे हितैषी को, प्रधान भी सुविधा देते हैं। जांच करा के देख सकते हो, हर गांव में पाए जाएंगे। गरीबी रेखा के नीचे यूं, बहुत लोग नहीं आएंगे। बीपीएल कार्ड बना है उनका, साहब के वही चहेते हैं। अपने सारे हितैषी को, प्रधान भी सुविधा देते हैं। हॉफ सेंचुरी पार नहीं है, मिलती वृद्धावस्था पेंशन है। जो लोग साठ के हो गए, उनको दवा की टेंशन है। भ्रष्टाचार खूब पनप रहा है, सच्चाई को सब मेटे हैं। अपने सारे हितैषी को,प्रधान भी सुविधा देते हैं।





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