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The best cartoons, chosen by the editors at Deshaj Times.
रह-रह आंखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी…हम मान लेते हैं कि ज़िंदगी अभी भी जीने लायक है
भाषा, विचार, विषय व संवाद ही पत्रकारिता की परिभाषा, दशा और दिशा आप तय करेंगे मेरे मित्र…
बहुत गुस्सा था इस व्यवस्था के खिलाफ,अब उसी का भागीदार हो गया हूं, अब मैं पत्रकार हो गया हूं…
सोचिए, पत्रकारिता के ABCD से Z तक, अ,आ से ज्ञ तक हम कहां हैं, मगर पत्रकार कहलाना चाहते हैं
DT अगर ए नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है, इधर कश्ती न ले आना यहां पानी बहुत कम है…
ए भाई…जहर खाने के बाद दरभंगा की पत्रकारिता का लहू सफेद होता दिख रहा है, पहल करेगा कौन
Dt ये कहां आ गए हम यूं ही साथ-साथ चलते, दोस्तों अब भी समय है, सोच लो, जागो और सोच लो
ऐसी TRP देखी नहीं कहीं, आ जाए कौन कब कहां कैसी खबर के साथ, घर में बैठा हूं मैं डर के साथ
दरभंगा में मीडिया बिकाऊ है, खरीदेगो या खरीद चुके हो, कीमत बेहद कम आपके बजट मुताबिक
हमने बहारों का महज़ ज़िक्र सुना है इस दरभंगाटावर सेतो आज तक अतिक्रमण के पतझर नहीं बदले