
सच मानो तो, मनोरंजन ठाकुर के साथ (with Manoranjan Thakur)
जय बाबा केदार..!
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क्षण/क्षण/पल/पल/भंग/भंग/भंगुर होती/दहती/टूटती/फूटती/गिरती/ईंट/ईंट/बिखरती/
मलवा बनती/खंडहर होती/इमारतें/पूछ रहीं/सरहदों/दंभ/उद्वेग/निराशा/संप्रभुता/संविधान/ में बंटे तुम/ढ़ह/गिर/टूट/बिलख/हताश/खंडित/खंडित/जमींदोज/हो रहा हूं मैं/
मेरा कसूर/
अनंत हाथों ने गढ़कर/घट-घट/घंटों/महीनों/सालों/मजदूरों ने मिलकर/घूप सेंके/गर्मी खाईं/ठंड झेले/अनगिनत मशीनें/काया/कल्प/हजारों तारें/ बुनकर/ जुड़कर/ उलझकर/ गुथकर/ तैयार हुआ था मैं/मेहनतकश/हाथों ने/तूलिका उठाए/रंगों से/सरोबार किया/तुम/आग/बारूद/जख्म लेकर आए/रंग/बिगाड़/खून/ को/ ही/ सफेद/कर/डाला/एक/कम्युनिष्ट आविष्कार/को/तहस/नहस/बर्बाद/कुछ लायक नहीं छोड़ा/हर सपने मलवा/ कर डाला/
माना/
रूसी भाषी के नरसंहार का तमगा है/मगर/याद रखना/ मध्ययुगीन/ वाइकिंग फेडरेशन/ कीवन रस़ तो हम-दोनों हैं/याद करो/सोवियत संघ/ के विघटित/होते ही/हम-दोनों/कैसे मधुर/गलबांहियां की/अब/उसे ही/नष्ट/करने पर/आमादा हो/उसकी विदेश नीति/तेरे रहमो-करम पर/तेरे गहरे प्रभाव में था/वहां की/सरकारें भी/तेरे शासन/ के अधीन/आदेश/ की हुक्मनराम थी/मगर/ये क्या हुआ/कैसे हुआ/क्यों हुआ/
बिगड़ती अर्थव्यवस्था/ बढ़ती/ महंगाई/ अल्पसंख्यक रूसी भाषी/लोगों के बहुसंख्यक/यूक्रेनी पर शासन ने/विद्रोह की चिंगारी सुलगा दी/
याद आता है/वर्ष 2014/
यूक्रेनी लोगों का विद्रोह/संसद हुआ/अपने ही/ रूसी समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को हटाने को बाध्य/उसी साल/यूक्रेनी लोगों का अमेरिका/यूरोप समर्थक/ नेता पेट्रो पोरोशेंको का राष्ट्रपति चुनना/तब से विक्टर यानुकोविच/रूस में काट रहे निर्वासन/
याद है हमें/वर्ष 2019/
यूक्रेन का संविधान संशोधन/खुद को यूरोपीय संघ/नाटो/ सैन्य संगठन का हिस्सा बनने की अकुलाहट/ वो खुला ऐलान/बस यही बात/तुझे/नागवार गुजर गया/तूझे/लगा/यूक्रेन भविष्य का खतरा/आ लौट चलें फिर/वर्ष 1990 में/यूक्रेन का समझौते तोड़ना/नाटो में घुलना/उसी में समाना/वो यूक्रेन का भ्रम/यूरोपीय संघ/नाटो का हिस्सा/बनकर/देश की अर्थव्यवस्था सुधारने का दंभ/वहीं/फंस गया पेंच/रूसी डर है/यूक्रेन नाटो से/मिलकर/दुश्मन देशों की पहुंच/मेरी सीमा तक ले आएगा/मगर/भूल गया तू/
तेरी पूर्वी कोयले/लोहे से समृद्ध इलाकों/वहां की उपजाऊ भूमि के खदानों पर/कब से तेरी पुति..न/ सी नजर थी/आक्रामक/ चतुर/ जूडो के ब्लैक बेल्टर को कैसे भा गया/ये बारूदी गंध/याद है मुझे/7 मई 2012 से/तेरा रूस का राष्ट्रपति होना/अब मेरी समझ में आया है/रूस के राष्ट्रपति का कार्यकाल/चार साल से बढ़कर/छह साल क्यों हो गया…/
अंत
फ़ाज़िल जमीली
इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने
अब मुझे देख रहा है वो धुआं होते हुए
सच मानो तो, मनोरंजन ठाकुर के साथ
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