मई,19,2024
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दरभंगा GM Road तिहरा हत्याकांड : पहली बार सामने आई सुकून, राहत, उम्मीद और विश्वास से भरी एक साफ तस्वीर…सच मानो तो मनोरंजन ठाकुर के साथ

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नोरंजन ठाकुर।  दरभंगा GM Road तिहरा हत्याकांड के आज दस दिन बीत गए/आज से करीब दस दिनों पूर्व नगर थाना क्षेत्र के जीएम रोड स्थित संजय झा के मकान को भू-माफिया ने जेसीबी से जबरन तोड़ा/ परिवारिक जनों को जिंदा आग में झोंक दिया/ तीन लोगों की मौत हो गई/ यह सभी जानते हैं/ मामले की सीबीआई जांच की मांग उठी/ आपको पता है/ मामले ने पूरे बिहार को ही नहीं देश के हर कोने को जगाया/रूलाया/उद्वेलित किया/ यह भी जगजाहिर है/ कई लोग/ जनप्रतिनिधि/ इन दस दिनों में पीड़ित परिवार से मिलें/उन्हें ढ़ांढ़स बंधाने का काम किया/ मगर, दरभंगा से बीती देर शाम/ एक तस्वीर सामने आई/ इस तस्वीर ने/ पहली बार/ इन दस दिनों में/ हर किसी को/ इस बात का अहसास/ जरूर कराया/ कि अब न्याय मिलने में देर नहीं है/ये गम के दस दिन/ये सितम के दस दिन/अब संपूर्ण न्याय/ और नई उम्मीद का सामना जरूर करेगा/

बात करें,
सीबीआई जांच की/ यह आग की तपिश की लहक/उस गर्मी को जरूर बाहर निकाल सकता है/ जिसकी जद में कई भू-माफिया/ और कुछेक अन्य लोग/ जिनके नाम-गिने-लिए-सुने/जा रहे हैं/ जरूर सामने आएंगें।

लेकिन/ तत्काल जो जरूरी था/ वह उस पीड़ित परिवार को भरोसा/ एक न्याय की उम्मीद/ विश्वास भरे हाथ बढ़ाने/ और थाहने के बीच/कांपती/ थरथराती/ उस परिजनों की टूटती सांसों/ अधेड़ होकर सुखती चिंताओं/ वर्तमान की स्याह सूरत/ और भविष्य की अनंत चिंताओं को बांधने/उसे संभालने/गांठ वाले हाथ की जरूरत थी/ जो बीती देर शाम/ पीड़ित परिवारों ने पहली बार महसूसा/और यह क्षण/उन जिंदा लफ्जों की आवाज बनकर गर कोई सामने था/ तो वह थे/ दरभंगा के नए युवा जोश से लबरेज/ कम समय में बेहतरीन कार्यों को सरजमीं पर उतारने/ दरभंगावासियों को सहारात्व की भूमिका में मौजूद डीएम राजीव रौशन/

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दु:खते दिलों में मरहम पहली बार दिखा/
लगा और उम्मीद दिखा/ कि जल्द यह जख्म अब जरूर भरेंगे/ परिजनों के चेहरे पर पहली बार सामने आई सुकून/ राहत/ उम्मीद और विश्वास से भरी एक साफ तस्वीर ने/ सबकुछ बयां कर दिया/ जो बीत गया/ वह कल की बात थी/ अब नया सूरज उगेगा/ और उसकी तपिश/ कतई इन पीड़ित परिवारों को अब और दर्द/ जख्म/ घाव नहीं दे पाएंगें/
प्रकृति का तय नियम है।
जो जाता है/ लौटकर वापस नहीं आता/ मगर, प्रकृति का ही फलसफा है/ जो जिंदा है/ वह जिंदगी की जीत में जरूर भरोसा रखता है/ उसी जीत का भरोसा/ पीड़ित परिवार से मिलकर डीएम राजीव रौशन जगा गए/

जो जानकारी मिली है,
डीएम राजीव रौशन ने ज़िंदा जलाकर मारे गए तीन लोगों के परिजनों से शनिवार की देर शाम मुलाकात की/ डीएम श्री रौशन पीड़ित परिवार के घर पहुंचे/ सबसे पहले जलाकर मारी गई पिंकी/ और संजय झा की तस्वीर पर/ पुष्प-चढ़ाकर/ उन्हें नमनांजलि दी/

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सबसे सुखद यह रहा,
डीएम श्री रौशन ने परिवार की चौथी झुलसी हुई युवती निक्की की गंभीर हालत देखी/ उनकी पीड़ा को महसूसा/ साथ ही/ घटना की स्पीडी ट्रायल करा कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया/

सबसे खास यह रहा,
डीएम श्री रौशन से मुलाकात के बाद पीड़ित परिवार की चौथी झुलसी हुई युवती निक्की ने जो कहा/ वह राहत से कम नहीं/ कमोबेश, इस पीड़िता/ और उसके बचे हुए परिजनों को/ इस बात का आभास/ उनके अंदर/ एक जीवंत विश्वास/ जरूर जगा/ वो आत्मविश्वास से भरे ही शब्द थे/ जिसके एक-एक तारत्मय ने उस कंधे पर भरोसा/ पूरा यकींन दिखाया/ जो उनसे मिलने बीती देर शाम पहुंचे थे/

यानी, उस युवा जोश के डीएम श्री रोशन की बातों ने इतना भर जरूर किया/ पीड़ित परिजनों में न्याय का भरोसा जगा है/ तभी तो थकी/ जिंदगी से जूझती/ लड़ती/ निक्की के कंपकंपाते लफ्ज पर/ थोड़ी सी राहत के मरहम लगते दिखे/ और वह बोल पड़ी/ डीएम सर ने उन्हें और उनके परिवार को पूरी सुरक्षा देने का भी आश्वासन दिया है/ साथ ही/ घटना की स्पीडी ट्रायल कराने की सिफारिश का भरोसा मिला/ उम्मीद है, हमें पूरा न्याय मिलेगा/

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वहीं, डीएम श्री रौशन की खास बात यह रही/ उन्होंने/ दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के बीच/ पीड़ित परिवार को पूरा न्याय/ चिकित्सा और आर्थिक सहायता के लिए/ हर संभव प्रयास का भरोसा दिया/ अहम यह/ डीएम श्री रौशन ने/ समाज को जागरूक रहने का भी आह्वान किया/ यह बड़ी बात है/ समाज में इस तरह की घटना ना हों/ इसके लिए जागरूक रहना हम सबकी जवाबदेही बनती है…सच मानो तो/(To be honest, with Manoranjan Thakur)

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