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9 सितम्बर, 2024
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Bihar Politics| बंदूक–डांस– यादव रंगदार..कोहिनूर और – 54% ‘कबाड़’@Manoranjan Thakur के साथ@चुनावी कांव-कांव

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देशज टाइम्स | Highlights -

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बंदूक, डांस और राजनीति इन दिनों बिहार की पॉलिटिकल बैकग्राउंड में अपनी किस्मत आजमाती दिख रही! तेजस्वी सरकार बनते ही यादव रंगदार? यानि, भोजपुरी गाने के बहाने यादव रंगदार बनतो…की सियासत किसके लिए है किसके पक्ष में किसके खिलाफ में है जहां बच्चे के जन्मोत्सव में कट्टा और फायरिंग का खेल उस बिहार में हो रहा जहां हर्ष फायरिंग मना है। मगर, तेजस्वी यादव के नाम पर कट्टा लहराते दिखे। कहीं वो “बिहार का कोहिनूर” वाली मंशा तो नहीं जो इन दिनों चिराग पासवान के पीछे है! बिहार मांगे चिराग?पटना में लगे बड़े-बड़े पोस्टर आखिर क्या कहते हैं – क्या 2025 में चिराग पासवान बिहार के CM बनेंगे ? या यह सिर्फ एनडीए में दबदबे की कवायद भर है?@चुनावी कांव-कांव देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आमने-सामने निसंदेह नीतीश-तेजस्वी ही रहेंगे

मगर बात होगी बिहार चुनाव की सीट शेयरिंग। सर्वे और राजनीतिक समीकरण के। इसमें, फिलहाल, सस्पेंस भी है। टकराव और सर्वे का झटका भी। आमने-सामने निसंदेह बिहार में नीतीश-तेजस्वी ही रहेंगे। यही आपस में टकराएंगें, टकराव की पृष्ठभूमि भी रहें हैं। वजह, PK की एंट्री जेडीयू-बीजेपी में सीट बंटवारे पर खींचतान की बस एक विसात भर है। भले, मास्टर स्ट्रोक नीतीश ने चल दिए हों और अचानक उनका पहला ऐलान बिहार के लिए सकते से कम नहीं!@चुनावी कांव-कांव देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।

राजपुर सीट से उम्मीदवार घोषित होना कोई मंच भर की बात नहीं है, पूरी प्लानिंग है पीछे

वैसे सर्वे में बड़ा झटका! महागठबंधन NDA से आगे, PK तीसरा विकल्प यह सिर्फ अभी थोथी दलील या एक संभावना की झोंक भर है। मगर, इतना तय है, नीतीश ने BJP को चौंका दिया है! राजपुर सीट से उम्मीदवार घोषित होना कोई मंच भर की बात नहीं है। यह एक पूरी प्रक्रिया है जिससे जदयू गुजर चुकी है। वह भी तब, जब सीट बंटवारा तय ही नहीं हुआ है।@चुनावी कांव-कांव देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।

जंगलराज की नरेटिव कमजोर, बेरोजगारी?

बेरोजगारी और अपराध से NDA को कमजोर आंकना या तेजस्वी को बिहारियों की पहली पसंद मान लेना – सर्वे में खुलासा का हिस्सा हो सकता है कि PK का खेल जदयू राजद का समीकरण बिगाड़ सकता है! दोनों गठबंधनों के वोटर टूटने की आशंका भी वहीं है जहां, जंगलराज की नरेटिव कमजोर होता दिख रहा है और बिहार चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने है।@चुनावी कांव-कांव देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।

अभी साइलेंट मोड में आहिस्ता-आहिस्ता

इधर, दोनों ही घटकों में सीट बंटवारे पर संग्राम अंदर खाने निश्चत है! बिहार महागठबंधन में भाकपा की ज़्यादा सीटों की मांग पेंच फंसा सकता है– ‘जनाधार के हिसाब से सीट दो की मांग से खींचतान की गुंजाइश थोड़ी बहुत हो सकती है। मगर, कांग्रेस की दिल्ली में आज की होने वाली बैठक में कई फैसले सामने आएंगें ऐसी उम्मीद है।

पशुपतिनाथ पारस…किस करवट, मुकेश सहनी की इच्छा और दरारें..नजर अंदाज

सवाल यह भी है, पशुपति पारस की पार्टी अभी किसी भी पाट का हिस्सा नहीं है। उनकी भूमिका अभी साइलेंट मोड में है। इसे भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। मुकेश सहनी की बलबती इच्छाओं को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। यह सभी दरारें पैदा करने और पाटने के काम आ सकते हैं?

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सीट बंटवारे पर सस्पेंस,सर्वे में महागठबंधन मामूली बढ़त

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर अभी तक एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे का अंतिम ऐलान नहीं हुआ है। हालांकि, अंदरखाने से जो समीकरण सामने आ रहा है, उसमें जेडीयू बड़े भाई की भूमिका निभाती दिख रही है।

संभावित सीट बंटवारे का फार्मूला

जेडीयू – 102 सीटें, बीजेपी – 102 सीटें, चिराग पासवान – 20 सीटें, जीतन राम मांझी – 10 सीटें, उपेंद्र कुशवाहा – 10 सीटें। हालांकि यह केवल सियासी कयासबाजी है, किसी भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर सीटों की संख्या घोषित नहीं की है।

फ्रंटफुट पर नीतीश कुमार, चल चुके पहला धोबिया पछाड़ दांव

इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बक्सर की राजपुर सुरक्षित सीट से पूर्व मंत्री संतोष निराला को उम्मीदवार घोषित कर दिया। यह फैसला बीजेपी के लिए असहज स्थिति बना रहा है, क्योंकि अभी यह भी तय नहीं है कि राजपुर सीट एनडीए के किस दल के खाते में जाएगी।

हालिया सर्वे, बहुत कुछ कहता है, बहुत कुछ कहेगा

इस सर्वे के अनुसार महागठबंधन – 36%, एनडीए – 35%, जन सुराज (प्रशांत किशोर) – 10% के साथ मुद्दों पर जनता का रुझान साझा करते साफ कहता है यहां, नौकरी का मुद्दा-महागठबंधन पर भरोसा – 40%, एनडीए पर भरोसा – 30% है। सरकार के खिलाफ नाराजगी – 48% है। वहीं, अपने विधायक को बदलना चाहते हैं – 54%। यह सबसे चौंकाने वाली बात है। यानि, बिहार की मौजूदा विधायिकी में आधा कबाड़। वहीं, सर्वे में यह बात भी सामने आई, महागठबंधन का MY (मुस्लिम-यादव) वोट ब्लॉक स्थिर। एनडीए का EBC, महादलित और ऊंची जाति वोट बैंक अभी साथ। नाराजगी का फायदा महागठबंधन और जन सुराज को मिलता दिख रहा है। प्रशांत किशोर (PK) दोनों गठबंधनों के वोट काट सकते हैं। मतदाता सूची संशोधन से ऊंची जाति और विपक्षी मतदाता दोनों असहज। नीतीश कुमार की कम सक्रियता एनडीए को नुकसान पहुंचा सकती है। फिलहाल जनता की पहली पसंद तेजस्वी यादव बने हुए हैं।हाल की हत्या और कानून-व्यवस्था की घटनाओं ने एनडीए के “जंगलराज” वाले प्रचार को कमजोर किया। बिहार में बेरोजगारी की स्थिति ‘इमरजेंसी जैसी’। इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिल सकता है।

डी राजा की सीटी सीट बंटवारे को क्या फंसाएगीं!

बिहार महागठबंधन (Mahagathbandhan) में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंस सकता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने साफ कर दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025) में पहले से ज़्यादा सीटों की मांग करेगी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा (D Raja) ने कहा कि महागठबंधन के अन्य दलों की तरह भाकपा भी 2020 की तुलना में ज़्यादा सीटों पर दावेदारी करेगी।
डी राजा ने कहा –

“हमारी पार्टी का बिहार में मज़बूत जनाधार है। 2020 की तुलना में ज़्यादा सीटें मिलनी चाहिए। सीट बंटवारे में पार्टी को आवंटित संख्या उचित और जनाधार के अनुरूप होनी चाहिए।”

डी राजा ने दावा किया कि बिहार में सदस्यों की संख्या के हिसाब से भाकपा चौथे स्थान पर है। उन्होंने याद दिलाया कि पटना लोकसभा सीट से भाकपा सांसद रह चुके हैं।

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गठबंधन में तालमेल की उम्मीद

डी राजा ने उम्मीद जताई कि महागठबंधन के सभी घटक दल आपसी सहमति से सीट बंटवारे का फार्मूला निकाल लेंगे। उन्होंने कहा कि एकजुट होकर चुनाव लड़ने से गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा होगा।

चिराग पासवान की बढ़ती महत्वाकांक्षा

वैसे, जैसे जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हमारी राजधानी पटना की सियासी फिज़ा गर्म हो होती जा रही हैं। ताजा यह, वीरचंद पटेल पथ पर लगे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पोस्टरों ने नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

तन बदन का नूर है, चिराग बिहार का कोहिनूर है

पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए पोस्टर में चिराग पासवान को “बिहार का कोहिनूर” बताया गया है। पोस्टर पर लिखा है – “बिहार मांगे चिराग, तन बदन का नूर है, चिराग बिहार का कोहिनूर है।” यह नारा कार्यकर्ताओं के उत्साह के साथ-साथ चिराग पासवान की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को भी दर्शाता है।

बड़े दांव लगाने की तैयारी में…2020 विस चुनाव का जिक्र

चिराग पासवान के जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया पोस्ट कर संकेत दिया कि लोजपा (रा) 2025 में बड़े दांव लगाने की तैयारी में है। उन्होंने 2020 विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि गठबंधन की मजबूरी से कार्यकर्ताओं की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं। उसी कारण पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा और भले ही सिर्फ एक सीट मिली, लेकिन 137 सीटों पर 6% वोट शेयर हासिल कर लिया। उन्होंने दावा किया कि अगर पार्टी 243 सीटों पर उतरी होती, तो वोट शेयर 10% से अधिक होता।

कम से कम 40 सीटों की हिस्सेदारी मांगें कोहिनूर

विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान को “बिहार का कोहिनूर” बताने का मकसद एनडीए में सीट बंटवारे पर दबाव बनाना है। खुद को सीएम पद की दौड़ में गंभीर दावेदार दिखाना है। चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं कि वे विधानसभा चुनाव में कम से कम 40 सीटों की हिस्सेदारी चाहते हैं। हाल ही में लोकसभा की सभी 5 सीटों पर जीत ने उनकी महत्वाकांक्षाओं को और मजबूती दी है। ऐसे में, अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगी दल चिराग की शर्तें मानेंगे? या फिर लोजपा (रा) 2020 की तरह अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी?

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कट्टा-डांस, भोज और आर्केस्ट्रा

चुनाव से पहले भागलपुर से एक चौंकाने वाला वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में आधा दर्जन युवक हाथों में कट्टा (देशी पिस्तौल) लेकर भोजपुरी गाने पर नाचते दिखाई दे रहे हैं।यह वीडियो गोराडीह थाना क्षेत्र के कासिमपुर पंचायत अंतर्गत इटवा गांव का बताया जा रहा है। गांव में एक व्यक्ति के घर बच्चे के जन्मोत्सव पर भोज और आर्केस्ट्रा का आयोजन हुआ था।

“तेजस्वी सरकार बनेतो, यादव रंगदार बनतो..”

इसी दौरान मंच पर युवक भोजपुरी गाने –“तेजस्वी सरकार बनेतो, यादव रंगदार बनतो..” पर ठुमके लगाने लगे। डांस के दौरान एक युवक कट्टा निकालकर साथी को देता है। इसके बाद वह युवक उसमें कारतूस भरकर फायरिंग की कोशिश करता है। वायरल वीडियो सामने आने के बाद एसएसपी ने जांच के आदेश दिए हैं।थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। पुलिस ने वीडियो के आधार पर संबंधित युवकों की पहचान शुरू कर दी है

बिहार को चाहिए ओरिजिनल सीएम, डुप्लीकेट नहीं

बिहार की मोक्ष नगरी गया में मंगलवार को एक खास दृश्य देखने को मिला, जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और पूरा यादव परिवार पहली बार एक साथ पिंडदान करने पहुंचे। विष्णुपद मंदिर परिसर में विधिवत पिंडदान और गर्भगृह में पूजा-अर्चना करने के बाद परिवार बाहर निकला। मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने बताया कि यह उनके पिता लालू प्रसाद यादव की इच्छा थी।

तेजस्वी ने कहा:

“पिताजी हमेशा से पूर्वजों का पिंडदान करना चाहते थे। स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद वे पूरे परिवार को लेकर यहां आए। पहले कोई अकेले आता था, लेकिन इस बार पूरा परिवार एक साथ आया है, यह हमारे लिए बेहद खास पल है।”

बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी से लोगों को मुक्ति की प्रार्थना

तेजस्वी यादव ने इस मौके पर बिहार की जनता के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी से लोगों को मुक्ति मिले। हर हाथ में रोजगार हो और कल-कारखाने लगें। बिहार भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्त होकर अव्वल राज्य बने।

यह सरकार नकलची है, इसके पास विजन नहीं

राजनीतिक सवालों पर तेजस्वी यादव ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में उनकी पार्टी पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देगी। साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला:

“हमारी पार्टी जो कहती है, उसे पूरा करती है। हमने 5 लाख नौकरियां दी हैं। हमारी ‘माई-बहन मान योजना’ से सरकार दबाव में आकर 10-10 हजार रुपये बांट रही है। यह सरकार नकलची है, इसके पास विजन नहीं है। बिहार को अब डुप्लीकेट नहीं बल्कि ओरिजिनल सीएम चाहिए।”

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