शायद कम ही लोग जानते होंगे…
याद है साल 90 /
जब मेरी पत्रकारिता की शुरूआत दिल्ली राष्ट्रीय सहारा से शुरू हुई थी। उस दौरान संकर्षण ठाकुर का नाम देश की पत्रकारिता में उभार पर था।
मेरे पिता जी कौशल किशोर के बचपन के मित्र और सिंहवाड़ा हमारी माटी के उपजे देश के लब्ध-प्रतिष्ठित पत्रकार जर्नादन ठाकुर और उनके सुपुत्र पत्रकारिता के पितामह संकर्षण ठाकुर दिल्ली के अंग्रेजी अखबारों के सुर्खियों, जिसे पत्रकारिता की भाषा में लीड और बॉटम कहते हैं, उस पर छाए हुए थे।
जब भी मिलता — पत्रकारिता कैसी चल रही है?
जब संकर्षण गांव (सिंहवाड़ा) आते मुलाकातें होतीं। शायद, कम ही लोग जानते होंगे, सिंहवाड़ा में एक आश्रम भी है। हरियाली और स्वच्छता को लपेटे।
जहां, अब एक सरस्वती की दिव्य मूर्ति और मंदिर भी है। संकर्षण वहीं ठहरते। वही, उनका पैतृक निवास स्थान था। अक्सर, चुनावी मौसम में उनका बिहार आना होता था।
मुलाकातें- याद आती हैं मगर वो बीते हुए पल चाह कर भी वापस नहीं आ सकते…..
बड़े भाई संकर्षण तुम बहुत याद आओगे…ताउम्र।
#ShankarshanThakur
खबर की शुरूआत मेरे बड़े भाई सरीखे संकर्षण ठाकुर की। यानि…“द ब्रदर्स बिहारी”, ‘सबाल्टर्न साहेब’…Times of Nitish Kumar of Bihar… एक संपूर्ण पत्रकारिता जो एकबारगी खामोश हो गई। कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश, पाकिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप के जटिल राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों को जिन्होंने कलम में जिंदा रखा अब सदा के लिए मौन हो गया।@चुनावी कांव-कांव, देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।
बिहार चुनाव 2025: नेताजी ऐसे होते हैं
हालांकि, खबर का हिस्सा बिहार चुनाव है। इसमें NDA सीट बंटवारे के नए फॉमूले, टिकट कटने की सुगबुगाहट, तेजस्वी के कई सवाल शामिल हैं। साथ ही, उस नेता की जो पीड़ितों से मिलने जाता है कार्यकर्ताओं के कंधे पर चढ़कर यानि तारिक अनवर का वो वायरल वीडियो जो सुर्खियों में ताजा है। ताजगी, तेज प्रताप यादव के नए बयान में हैं। तो, घमासान सम्राट चौधरी का वो हमला है जहां प्रशांत किशोर की मुस्लिम वाली छवि के बीच आपस में ही भिड़ते रूडी और निशिकांत दुबे विवाद ने बीजेपी की नई मुसीबत मोल दे दी है।@चुनावी कांव-कांव, देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।
बिहार चुनाव 2025: NDA में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय, कई विधायकों का कटेगा टिकट – तेजस्वी ने उठाए 12 बड़े सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। एनडीए (NDA) गठबंधन ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है। सूत्रों के अनुसार जदयू (JDU) और भाजपा (BJP) बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं, लोजपा (रामविलास), हम और रालोमो को भी तय फॉर्मूले के तहत हिस्सेदारी मिलेगी। दूसरी ओर, राजद (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार से 12 सवाल पूछकर सियासी माहौल को और गरमा दिया है।@चुनावी कांव-कांव, देशज टाइम्स पॉलिटिकल डेस्क कॉर्नर से मनोरंजन ठाकुर।
NDA में सीट बंटवारे का खाका
जदयू – 103 सीटें। भाजपा – 103 सीटें। लोजपा (रा) – 19 सीटें। हम – 10 सीटें। रालोमो – 8 सीटें। बताया जा रहा है कि इस फार्मूले पर सभी दलों की सहमति बन गई है। हालांकि, अंतिम घोषणा वरिष्ठ नेताओं की बैठक में होगी और 3–7 सीटों का एडजस्टमेंट संभव है।
तमन्ना यही है, अभी हमनें जी भर के देखा नहीं है
लोजपा (रा) ने 50 सीटों की मांग की है। पार्टी का कहना है कि 2015 और 2020 में उसने बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ा था। हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने 20–22 सीटों की दावेदारी की है। रालोमो ने भी कम से कम 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है।
पिछली बार का प्रदर्शन (2020 विधानसभा चुनाव)
भाजपा – 110 सीटों पर लड़ी, 74 जीती, वर्तमान में 80 विधायक। जदयू – 115 सीटों पर लड़ी, 43 जीती, वर्तमान में 45 विधायक। हम – 7 सीटों पर लड़ी। लोजपा (रा) – अकेले चुनाव लड़ी थी। वीआईपी पार्टी – तब एनडीए का हिस्सा थी, बाद में 3 विधायक भाजपा में शामिल हुए।
सर्वे और जनता की राय पार्टी शीर्ष को मंजूर
सूत्रों के अनुसार, इस बार कम अंतर से जीतने वाले विधायकों के टिकट कट सकते हैं। क्षेत्रीय सर्वे और जनता की राय के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।
तेजस्वी तेरे ये 12 सवाल…चुभते हैं…मैं क्या करूं
राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) पर एनडीए सरकार से 12 बड़े सवाल पूछे। मुख्य सवाल: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग बिहार में क्यों नहीं लगे? आईटी कंपनियां और SEZs बिहार में क्यों नहीं आए? मछली उत्पादन और डेयरी उद्योग को क्यों नहीं बढ़ावा मिला? पर्यटन उद्योग को विकसित क्यों नहीं किया गया? नियुक्ति और भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी क्यों नहीं हुई? कितने उद्योग-धंधे बंद हुए और कितने युवाओं का पलायन हुआ?
करोड़ बिहार के युवा और साल के मुख्यमंत्री
तेजस्वी यादव ने लिखा, बिहार के करोड़ युवा साल के मुख्यमंत्री से ये सवाल पूछना चाहते हैं:- बिहार में केला, मकई, मखाना, चावल, गन्ना, आलू, लीची, आम इत्यादि अनेक विश्व प्रसिद्ध अनाज, फल, सब्ज़ियों का इतना उत्पादन होता है लेकिन इन सभी से संबंधित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग वर्षों से बिहार में क्यों नहीं लगाए गए और क्यों नहीं लग सकते?
क्यों नहीं आयी और क्यों नहीं आ सकती?
वर्षों की सरकार जवाब दें? बिहार बेरोज़गारी का मुख्य केंद्र क्यों है? वर्षों की एनडीए सरकार बताए कि बिहार में कंपनियां क्यों नहीं बुलाई गयी? क्यों नहीं आयी और क्यों नहीं आ सकती? बिहार में आईटी पार्क और क्यों नहीं बन सकते? बिहार दूसरे प्रदेशों से मछली ख़रीदता है?
मछली, दूध, घी,मक्खन,पनीर नहीं खाएगा बिहार?
वर्षों की सरकार बताए कि बिहार में मछली उत्पादन संबंधित तमाम संसाधन होने के बावजूद यहां ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकते? बिहार में मछली उत्पादन को बढ़ावा देकर, यहां ज़िलावार मछली बाज़ार लगाकर मछुआरों की आमदनी और उत्पादन क्यों नहीं बढ़ा सकते? वर्षों की सरकार बताए, बिहार में डेयरी प्रॉडक्ट्स यानि दुग्ध उत्पादन संबंधित बड़े उद्योग क्यों नहीं लगाए जा सकते? बिहार का दूध, घी, मक्खन, चीज, पनीर, खोया इत्यादि दूसरे प्रदेशों और देशों में क्यों नहीं भेजा जा सकता?
उद्योग, हथकरघा पर कुछ करते क्यों नहीं?
वर्षों की नीतीश सरकार बताए, बिहार में इंडस्ट्री स्पेसिफिक क्लस्टर या उद्योग-विशिष्ट क्लस्टर क्यों नहीं लगाए जा सकते? वर्षों की सरकार बताए कि इन्होंने बुनकर उद्योग, लघु उद्योग और हथकरघा उद्योग के लिए क्या किया? इनके शासन में बड़े पैमाने पर इन उद्योग़ो को बढ़ावा क्यों नहीं दिया गया?
पर्यटन की संभावना है मगर हो रहा पलायान है?
वर्षों की सरकार बताए उन्होंने बिहार को अब तक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित क्यों नहीं किया? बिहार में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. वर्षों की सरकार नियुक्ति, भर्ती परीक्षा और प्रक्रिया को पारदर्शी तथा नियमित क्यों नहीं करती? वर्षों में बिहार से कुल कितना पलायन हुआ? बिहार में अप्रत्याशित दर से पलायन क्यों बढ़ रहा है?
बिहार के लिए क्या बचाकर रखा जरा बताइए?
वर्षों में पहले से चालू कितने चीनी मिल, जूट मिल, पेपर मिल एवं कुल कितने उद्योग-धंधे और कल-कारख़ाने बंद हुए तथा उससे बिहार को कुल कितने राजस्व व रोज़गार के अवसरों की हानि हुई? वर्षों में बिहार का कुल कितने लाख करोड़ रुपए शिक्षा और चिकित्सा के नाम पर दूसरे प्रदेशों में गया? बिहार के मानव संसाधन का कुल कितने प्रतिशत बिहार में और कितने प्रतिशत दूसरे प्रदेशों में कार्यरत है?
साल का देना पड़ेगा हिसाब, युवा हैं सामने?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के करोड़ युवाओं के सीने में धधक रहे बेरोज़गारी, पलायन और उद्योग-धंधों से संबंधित इन ज्वलंत सवालों पर मुंह ना छिपाएं बल्कि सामने आकर जवाब दें। अगर जवाब नहीं देते है तो इस चुनाव में युवा करारा जवाब देंगे।
सूतक लगने से कपाट बंद, अगली बार दर्शन
राजद (RJD) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर पहुंचे और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल हुए। हालांकि, चंद्रग्रहण के कारण मंदिर में सूतक लगने से कपाट बंद थे, जिस वजह से वे पूजा-अर्चना नहीं कर पाए। तेज प्रताप ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा कि वे अगली बार दर्शन करने अवश्य आएंगे।
राजबल्लभ यादव ‘अपराधी’ हैं इसलिए तो बाहर हैं
कार्यक्रम के दौरान तेज प्रताप यादव ने पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा—
“राजबल्लभ यादव एक अपराधी है, इसी वजह से उन्हें RJD से बाहर का रास्ता दिखाया गया। पार्टी ऐसे लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं करती।”
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी ने उनकी आपराधिक छवि और असंवेदनशील बयानों को देखते हुए पहले ही उन्हें बाहर कर दिया था।
‘जर्सी गाय’ सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं, यहां भी हैं
तेज प्रताप यादव ने एक बयान में राजबल्लभ यादव को “जर्सी गाय” कहकर संबोधित किया। इस पर सियासी हलकों में बवाल मच गया और राजद नेताओं व महिला संगठनों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की।
“Bihar Hai Taiyar – बदलाव लिखित में
“Bihar Hai Taiyar – बदलाव की एक यात्रा 2005-2025” शीर्षक पुस्तक का विमोचन हाल ही में किया गया। इस पुस्तक के लेखक राज्य के मंत्री नीतीश मिश्रा हैं। विमोचन के अवसर पर मंत्री मिश्रा ने कहा कि यह उनके लिए गर्व और भावुकता का क्षण है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और तथ्यों के आधार पर वर्ष 2005 से 2025 तक बिहार के बदलते औद्योगिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को समाहित करने का प्रयास किया है।
“हुक्मरान जालिम है तो आपसे चुनने में गलती हुई है“
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने किशनगंज में कहा कि बिहार में दलितों के बाद सबसे ज्यादा गरीब मुसलमान हैं। आधे से ज्यादा मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जो चाहकर भी अपने बच्चों को न्याय नहीं दिला पाते। उन्होंने कहा कि आबादी के अनुपात में मुसलमानों के 40 विधायक होने चाहिए, लेकिन फिलहाल सिर्फ 19 विधायक हैं।
हम पार्टी नहीं, विचारधारा की राजनीति करते हैं
प्रशांत किशोर ने साफ कहा – “हम पार्टी नहीं, विचारधारा की राजनीति करते हैं।” उन्होंने बताया कि कई जगह ऐसे नेताओं की मदद की गई जिन्होंने भाजपा (BJP) को हराया है।
उन्होंने कहा, “आज का हुक्मरान जालिम है, तो मानिए कि उसे चुनने में आपसे गलती हुई है।”
मुसलमान तादाद की चिंता मत कीजिए…ताकत आपके पास
उन्होंने कहा कि नेताओं ने मुसलमानों को मानसिक रूप से कमजोर बना दिया है। बार-बार आपको बताया गया कि आप अल्पसंख्यक हैं, जबकि ताकत आपके पास है।
प्रशांत किशोर ने अपील की कि मुसलमान तादाद की चिंता छोड़कर हक के साथ खड़े हों।
हिंदू और मुसलमान…अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें
उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर निशाना साधते हुए कहा – “वे मुसलमानों को अकेले लड़ने की बात करते हैं, जबकि जनसुराज की सोच है कि हिंदू और मुसलमान मिलकर बदलाव लाएं।”
हिंदू क्या बीजेपी को वोट देते हैं…अपनाना होगा
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा की ताकत उसकी विचारधारा है। अगर उसे हटाना है तो गांधी की विचारधारा को अपनाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि “आज भी आधे से ज्यादा हिंदू भाजपा को वोट नहीं देते हैं।”
सही को चुनिए, हम आप सब बदल जाएंगें
उन्होंने जोर देकर कहा – “अगर बिहार बदलेगा, तो देश बदलेगा। अगर आप गलत को चुनेंगे, तो गलत ही पाएंगे। सही को चुनिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य मिल सके।”
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल बिहार के विकास की कहानी है बल्कि राज्य की नयी संभावनाओं और बदलाव की यात्रा को भी सामने लाती है।
भाजपा में घमासान! रूडी बनाम निशिकांत
भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपने ही पार्टी सांसद निशिकांत दुबे पर सीधा हमला बोला है। रूडी ने दुबे को “अहंकारी” बताते हुए कहा— दुबे मानते हैं कि संसद उनकी मर्जी से चलती है। वे खुद को सरकार समझते हैं, लेकिन मैं उनकी सरकार का हिस्सा नहीं हूं। कुछ दिन पहले हुए दिल्ली कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में तनातनी शुरू हुई थी। दुबे ने रूडी के खिलाफ प्रचार कर संजय बालियान को सपोर्ट किया। रूडी का आरोप – दुबे नहीं चाहते थे कि मैं चुनाव जीतूं।
“संसद में शो चलाते हैं दुबे” – रूडी
इंटरव्यू में रूडी ने कहा कि निशिकांत दुबे संसद में अकेले दम पर शो चलाना चाहते हैं। विवाद फैलाने वाला वही है जो खुद को संसद कंट्रोलर मानता है। रूडी ने साफ किया कि उन्हें अमित शाह और जेपी नड्डा का पूरा समर्थन मिला। दरअसल असली वजह यह है कि दुबे ने रूडी के विरोधी उम्मीदवार का प्रचार किया। इसी को लेकर भाजपा के भीतर सीधी टक्कर सामने आ गई।
बिहार में घुसा ‘कुकुरमुत्ता’
डिप्टी सीएम (Deputy CM) सम्राट चौधरी ने महागठबंधन और लालू-तेजस्वी पर तीखा हमला बोला है। सम्राट चौधरी ने विपक्षी पार्टियों को कुकुरमुत्ता (Mushroom Parties) करार देते हुए कहा कि ऐसी पार्टियां आती-जाती रहती हैं। उन्होंने दावा किया कि जनता एनडीए (NDA) के साथ खड़ी है।
सम्राट अशोक स्तंभ का मजाक इस हिंदुस्तान में
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सम्राट अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar) का अपमान राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है, लेकिन राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) इसे मामूली बात बताकर राष्ट्रीय चिन्ह का मजाक बना रहे हैं।
चोरी का अवार्ड और हीरोइन के गाल
सम्राट चौधरी ने कहा कि लालू यादव ने कभी अपनी घोषणा पूरी नहीं की। लालू ने सड़क को हीरोइन के गाल जैसा बनाने की बात कही थी, लेकिन सड़कें कभी बनी ही नहीं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लालू परिवार को केवल “चोरी का अवार्ड” ही मिल सकता है।
55 साल का बच्चा गोद में ‘खिलौना वाला बच्चा’
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर के बाढ़ निरीक्षण पर भी डिप्टी सीएम ने तंज कसा।
उन्होंने कहा – “कांग्रेस हमेशा गोद में चलती है, राहुल गांधी 55 साल के बच्चा हैं”।तेजस्वी यादव को बताया खिलौना वाला बच्चा जहां सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा – “अगर तेजस्वी खुद को ओरिजनल सीएम बोलकर खुश हैं तो बच्चा को खिलौना देकर खुश रहने दीजिए”।
और अंत में एक व्यक्तिगत क्षति…मेरे बड़े भाई ‘बंधु बिहारी’ संकर्षण ठाकुर का निधन..अब सिंहवाड़ा की माटी रहेगी उदास
देश के बड़े पत्रकार और सिंहवाड़ा-दरभंगा के मूल निवासी वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर के बेटे संकर्षण ठाकुर का निधन व्यक्तिगत तौर पर भी और देश के लिए बड़ी पत्रकारिता की क्षति है। टेलीग्राफ के संपादक रहे संकर्षण पत्रकारिता के एक निर्भीक सिपाही थे। लालू-नीतीश पर लिखने वाले दिग्गज पत्रकार संकर्षण ठाकुर का 63 वर्ष की उम्र में निधन होना दु:खद है। ‘सबाल्टर्न साहेब’ और ‘ब्रदर्स बिहारी’ के लेखक संकर्षण ठाकुर के बारे में जो मैं जातना हूं…
टेलीग्राफ के संपादक संकर्षण ठाकुर का यूं जाना
खबर के अंत में, एक व्यक्तिगत-पारिवारिक क्षति का जिक्र जो देश को सालेगा सालों, ताउम्र…मेरे बड़े भाई ‘बंधु बिहारी’ संकर्षण ठाकुर का निधन देश के वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और टेलीग्राफ के संपादक संकर्षण ठाकुर का रविवार को निधन हो गया। वे 63 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
बिहार की राजनीति के गहरे जानकार
संकर्षण ठाकुर का जन्म 1962 में पटना में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल पटना और दिल्ली में हुई। 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। 1984 से पत्रकारिता की शुरुआत ‘संडे’ पत्रिका से की।
इंडियन एक्सप्रेस, तहलका से रोविंग एडिटर तक
इंडियन एक्सप्रेस में एसोसिएट एडिटर रहे। तहलका के कार्यकारी संपादक भी बने। 2009 के बाद से द टेलीग्राफ से जुड़े और अंतिम समय तक रोविंग एडिटर रहे।
सत्ता से सवाल पूछने की परंपरा को जिंदा रखने वाला निर्भीक
कश्मीर, बिहार, यूपी, पाकिस्तान और उपमहाद्वीप की राजनीति और सामाजिक संघर्षों पर गहन रिपोर्टिंग की। जातिगत हिंसा, ऑनर किलिंग्स और हाशिये के समाज पर बेबाक लिखते रहे। सत्ता से सवाल पूछने की परंपरा को जिंदा रखा।
जो किताबें लिखीं, सुर्खियां बंटोरीं, चर्चित रहीं
“सबाल्टर्न साहेब” – लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक जीवनी। “द ब्रदर्स बिहारी” – लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर पर। “Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar of Bihar”। “The Kargil: From Surprise to Victory” – कारगिल युद्ध पर आधारित।
भारतीय पत्रकारिता के लिए एक युग का अंत
उनका जाना भारतीय पत्रकारिता के लिए एक युग का अंत है। वे हमेशा अपने सटीक विश्लेषण, निर्भीक सवाल, साहसी लेखनी के लिए याद किए जाएंगे। उनके पिता जनार्दन ठाकुर भी एक बड़े देशस्तरीय पत्रकार थे। इंदिरा गांधी के शासन काल में जनार्दन ठाकुर को पत्रकारिता कर्म के कारण कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा था। देशज टाइम्स परिवार की ओर से इस संपूर्ण पत्रकारिता को नमनाजंलि…