प्रशांत कुमार, कुशेश्वरस्थान, देशज टाइम्स। बाबा नगरी का एक गांव जो आजादी के बाद भी सड़क की आस में है। यहां के लोग आज भी बांस की चचरी पुल के सहारे अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं केवटगामा पंचायत के दो हजार आबादी वाली गांव भरडीहा का। यह गांव एक ऐसा गांव है जहां आजादी के बाद से लेकर आज तक सड़क नहीं बना है। जब भी चुनाव का समय आता है। यहां नेताओं की ओर से कई दावे किए जाते हैं। जीत जाने के बाद एक बार भी गांव की समस्याओं की ओर झांकते तक नहीं हैं।
भरडीहा गांव से बाहर निकलने के लिए नदी में स्थानीय लोगों ने चंदा कर बांस का चचरी पुल का निर्माण किया था। जो इस बार पानी की तेज धारा में दह गया। चचरी पुल दह जाने के कारण इस गांव के लोगों को गांव से बाहर निकलना काफी मुश्किल हो गया है।
लोग निजी नाव से उस नदी को पार कर मुख्य सड़क पर आते जाते हैं। इस गांव के बगल के गांव खलासीन, फकदौलिया गांव सड़क से जुड़ा है लेकिन भरडीहा गांव से निकलने का कोई साधन नहीं है।
खलासीन से भरडीहा मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से सड़क बनना है। इस सड़क की कार्य अवधि भी समाप्त हो चुकी है पर संवेदक द्वारा आज तक सड़क पर दस प्रतिशत भी कार्य नही किया गया है। बरसात के समय खलासीन से भरडीहा सड़क पर कीचड़ ही कीचड़ रहता है। इस कीचड़ की वजह से इस सड़क पर पैदल चलना काफी मुश्किल हो जाता है।
वहीं, भरडीहा से बाहर निकलने के लिए नदी में चचरी का पुल का निर्माण किया गया था वह भी टूट चुका है। इस सड़क और पुल के लिए यहां के लोग सांसद तक को कई बार लिखित में दिया गया है पर किसी नेता के कान में जूं तक नही रेंग रहा है।