
सुष्मिता कुमारी की Special Report। बिहार में शराब बंदी कानून लागू है। सरकार इसे हर-हाल में लागू रखने पर आमादा है।
विपक्ष और खुद पक्ष के एक पक्ष का दबाव इसे संशाेधित या पूर्ण तरीके से हटाने का लगातार दबाव बना रहा है। मगर, नीतीश बाबू हैं यह मानने को तैयार नहीं है।

देशज टाइम्स की एक पूरी टीम डॉ. सुष्मिता कुमारी (Dr. Sushmita Kumari की Exclusive Report) की अगुवाई में बिहार के कई गांवों और जिलों में जाकर लोगों की रायशुमारी की और लोगों से जानना चाहा, आखिर वह चाहते क्या हैं। शराब बंदी या फिर से हर चौक-चौराहों पर जाम की दुकानें। पढ़िए यह खास रिपोर्ट
शराबबंदी के बाद विभिन्न जिलों के गांवों में इसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसी का आंकलन करने डॉ.सुष्मिता कुमारी और उनकी टीम मुंगेर पहुंची तो वहां के लोगों में शराबबंदी को लेकर काफी साकारात्मक पक्ष सामने आया। लोग इससे खुश तो हैं ही साथ ही इसे शिक्षित समाज के लिए जरूरी भी बताया।

इसके बाद सुष्मिता की टीम दरभंगा जिले के कई गांवों बिरौल, गौड़ाबौराम, सुपौल बाजार, बेनीपुर, अलीनगर, कुशेश्वरस्थान के दोनों प्रखंड समेत आसपास के कई गांवों और कस्बों में गई जहां उन्होंने शराब बंदी को लेकर सूबे में आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बीच लोगों की राय मांगी उनकी बातें सुनी। भ्रमण के दौरान टीम ने पाया कि लोगों में शराबबंदी को लेकर काफी उत्साह है।
लोगों का कहना था, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में शराबबंदी कानून को शुरुआती दौर में ही लागू करनी चाहिए थी। उनकी ओर से पंचायतों में शराब का कांउटर खोल कर राजस्व को बढ़ावा दिया गया। सरकार की यह भूल अच्छे समाज में कई तरह की समस्याएं खड़ीं कर दीं। इसे सुधारने में मुख्यमंत्री श्री कुमार को कुछ समय तो लगेगा ही। साथ ही, सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में युवा वर्ग शराब की होम डिलिवरी कार्य को अपना लिया है, जो आने वाले समय में इसका परिणाम अच्छा होने का संकेत नहीं है।

सरकार ने जो पूर्व में पंचायतों में शराब का कॉउंटर खोलकर पहली भूल कर चुकी है। इसे सुधारने में सरकार को परेशानी का सामना करना ही पड़ेगा।
राज्य में शराब बंदी कानून को और भी मजबूती से लागू करने के लिए जिस तरह प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं, उसी प्रकार उच्चस्तरीय जनप्रतिनिधियों को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दिशा-निर्देश मिलनी चाहिए।

इस अंधेरे से ना तुम घबराना,
मन में आशा के दीप जलाना,
रखना याद बस इतना,
ये सूरज कल फिर निकलेगा,
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