नग्नवाद व सेक्स आज खूब बिक रहे हैं। लिहाजा इसे परोसने की तमाम हदें पार होती दिख रही हैं। लोगों को भाने व ललचाने की चिकनाहट में मर्यादा, वंदिश व उम्र भी कोई मायने नहीं रख रहे। बस जिद यही, यह आंखों को ललचाए, सुकून, शांति दे और शरीर में सनसनी, गर्मी का एहसास।
नसों में दौड़ती लहू के रंग भी अगर लाल की जगह सुर्ख सफेद हो जाए तो हर्ज नहीं, शर्त इतना कि सेक्स की मादकता का फुल डोज मिले। और, नग्नवाद उस पर जोश के साथ लबरेज, हावी हो।
जिस संकोची मानसिकता के साथ चोरी छिपे, कपड़ों, आलमीरों में छुपा, ढककर, आवरण में लपेटे, फुर्सत के क्षणों में अकेले, एकांत कोने में चुपचाप, गुम, नग्नवाद को, उस खुलेपन, अद्र्धनग्न, नग्नता को खुले नेत्रों से निहारते, घंटों मन ही मन बतियाते, उसे चूमते, छूने का स्पर्श भाव लिए मदमस्त होते लोग हर कोने में मिलते रहे हैं। उसका, फलसफा आज बदल गया है।
लोग अब संकोची दरों-दीवार से ऊपर, तमाम परत के बाहर उस सार्वजनिक मोड़ पर सबके सामने नग्न और बेशर्म खड़े हैं, जहां खुद व खुद जवानी का अहसास हो जा रहा है। गली की छोटकी भी अब खुद को छूने से मना करती चिकनी चमेली बन गयी है।
लज्जा, हया, बेशर्मी की तमाम बाधाओं, शंकाओं, सीमाओं के पार लोग उस चरित्र को जी, आत्मसात कर रहे हैं जहां नंगापन दिखाना, सोचना, नंगा होना, खुलापन, दैहिक, लाज, शर्म पुरानी बातें हो गई हैं। आज स्त्री चरित्र क्या, मर्दाना शक्ति, ताकत भी बाजारवाद का अहम व निर्णायक हिस्सा में शुमार है।
आदिकाल से महिलाएं जिस दैहिक विमर्श को आत्मसात, प्रमोट, विस्तारित कर बढ़, आगे निरंतर साक्षात्कार कर रही हैं। उस क्रम में आवरण उतारकर बालाओं को ललचाने की जमकर फरोशी पुरुष भी करने लगे हैं। घरों में छोटे पर्दे पर एक मंच के कोने में लाइट व सॉवर में नहाते, रंगीन मदहोश कर देने वाली साज-सज्जा के बीच नग्न पुरुष के साथ अदा बिखेरती मनचली हसीनाओं में उत्तेजना खोजते मैंटरों को देखिए।
उनकी चहकती आंखें, देह को टटोलती, विमर्श करती उस खेल को सबके सामने प्रवाहित, विस्तारित कर देते हैं जिसके बहाव, ठहराव में एक टक उस खुले बदन, संपूर्ण नारी देह को देखना उपभोक्ताओं के लिए मजबूरी से आगे शौक, जरूरत में समाहित हो गया है।
वैसे, कमसिन अदाकार, हसीनाएं तो कॉपी राइट, अधिकार, हथियार में ही इसे शुमार कर चुकी हैं। बिना जिस्म दिखाए टीआरपी क्या योग व व्यायाम नहीं हो रहे। नग्नवाद आज योजनाबद्ध तरीके से लोगों के दिमाग में परोसे जा रहे हैं। निर्वस्त्र लोहान की तस्वीर के कवर वाली प्लेबॉय ने बिक्री के सारे रिकार्ड तोड़ डाले। जब बाजार में खरीददार उसी तबके के हों तो उत्पाद भी वैसा ही मनलायक, भरोसे को तरोताजा रखने वाला होना ही चाहिए।
इससे उपभोक्ताओं को क्या मतलब कि हालीवुड हसीना लिंडसे लोहान परेशानियों में घिरी हैं। बाजार का सीधा संबंध उस देह से है जो उसने निर्वस्त्र होकर पूरी कर दी। नग्नता कोई चीज नहीं महज आंखों का धोखा है। और इसी भ्रम व फरेब में लोग सनसनी तलाश रहे हैं।
ब्याय फ्रेंड से अश्लील एमएमएस व न्यूड फोटोग्राफ हासिल करने के लिए प्रेमिका को उससे शादी करनी पड़ती है। इतना ही नहीं, कहानी का क्लाइमेक्स यह कि दोनों के बीच के शारीरिक संबंध की तस्वीर प्रेमी ने जिस स्टॉइल व चोरी से खींच ली थी उसी मिजाज से शादी के चंद दिनों बाद प्रेमिका उस नग्न फोटो को साथ लेकर गायब भी हो जाती है। नग्नवाद का द एंड तब होता है जब गम में तन्हा प्रेमी खुदकुशी को घर बुला लेता है।
भारत सेक्स का वैसे भी बड़ा बाजार हो गया है। यहां संभ्रात व पारिवारिक रेस्ट्रों में अंधेरा, तन्हाइ व जिस्म खूब बिक रहे हैं। एक रेस्टोरेंट में एक घंटे तक जोड़े महज 135 रुपये में इन घुप तन्हाइ को आराम से खरीद रहे हैं जहां शक की गुजांइश भी बेमानी है। हां, 99 साल का एक बुजुर्ग अपनी पत्नी से इसलिए तलाक लेना चाहता है कि उसे अब पता चला है कि उसकी 96 साला पत्नी का 70 साल से ज्यादा समय पूर्व किसी के साथ अफेयर था। बात यहीं खत्म नहीं होती।
कट्टरपंथी मुस्लिम राष्ट्रों में सेक्स शब्द पर खुलेआम चर्चा की इजाजत, जायज नहींं है लेकिन इंटरनेट पर नग्नता को खोजने वालों में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी ही आगे हैं। दोहरे चरित्र को जी रहे वहां के लोग भारत से एक नंबर ज्यादा, विश्व में पहले पायदान पर हैं जहां सेक्स की चाह इंटरनेट से परोसी जा रही है। रेलवे स्टेशनों पर लाल रंग की परत, कागज के अंदर से झांकता देह, अजन्ता का कोक व कामशास्त्र कितनी आंखों के सामने से हर रोज यूं ही गुजर जाती है गोया किसी ने वियाग्रा से अपने बीमार दिल का इलाज करा लिया हो।
बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह इन दिनों बोल्ड फोटो शूट के साथ सामने हैं। रणवीर की बोल्ड तस्वीरें सामने आने के बाद बवाल मचा है। कोई ट्रोल, कोई प्रदर्शन करने लगा है। बवाल यहां तक, रणवीर के खिलाफ महिलाओं की भावनाएं आहत करने को लेकर एफआईआर तक दर्ज हो गईं।
देश के ऐसे लोग, क्षणिक आवेश में वर्तमान को अतित, उस इतिहास से अलग-दरकिनार कर दे रहे, जहां ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। बोल्ड फोटो शूट की बात अब बेमानी हो गई है। समय, उससे आगे, विस्तारित-प्रचारित वहां पहुंच गया है जहां, साल 2020 में मिलिंद सोमन विवादों में थे। वह, अपने जन्मदिन पर समंदर किनारे न्यूड भाग रहे थे। उस फोटो के जरिए मिलिंद खुद को बर्थडे विश करते दिखे। मिलिंद भी एफआईआर की जद में आए, जब गोवा के एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘गोवा सुरक्षा मंच’ ने वास्को पुलिस स्टेशन में अभिनेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ऐसे अनंत किस्से हैं। अनंत लोग हैं इस देश में, साधु से लेकर संयासी तक, अभिनेता से लेकर अभिनेत्री तक हर तरफ नग्नवाद का जोश पूरे होश में लबरेज रहा है, आगे भी रहेगा। यह थमेगा नहीं।
मगर, ऐसे विरोधभासी लोग, उस समाज को नहीं देख, समझ रहे, जहां नंगा होना, दिखाना अब कोई मायने नहीं रखता। आपत्तिजनक हालात में पकड़े प्रेमी जोड़े, हर दिन सामाजिक क्रूरता के बर्बर शिकार हो रहे। मगर, फर्क कहां, किसे और क्यों? मगर फर्क है, अगर आप ऐसे शख्स का जीवंत किरदार सिने पर्दें पर उतारते हैं, जो समाज का इस देश का वास्तविक हीरो है, कोई सिनेमाई नहीं, तो फर्क पड़ता है, आपके चरित्र, व्यवहार, दैहिक विमर्श का यूं नग्न हो जाना, दिखाना, और फिर हंसते हुए उसे टाल देना। (To be honest, with Manoranjan Thakur) सच मानो तो…Manoranjan Thakur के साथ।