सच मानो तो मनोरंजन ठाकुर के साथ।
याद कीजिए! बिहार विधानसभा चुनाव। सीटों का बंटवारा। वो जदयू-भाजपा समीकरण।बीच में फंसते वीआईपी के मुकेश सहनी। तेजस्वी की प्रेस वार्ता के बीच तनकर उठना। उठ के निकलना। आज कितना भारी पड़ गया ना… बीजेपी-जदयू गठ से बंधन करना। फिर, मछुआ समीकरण, निषाद समीकरण…बीजेपी को भी चाहिए थी तात्कालिक सत्ता। यूं यूपी के राजभर का जाना…।
आखिरकार! बीजेपी ने सीटें
वीआईपी के नाम कर दी। मुकेश सहनी को लगा यह उनकी ताकत है। तेजस्वी से लड़ने का ईनाम है। मगर, कहां पता था। अभी तो यह अंगड़ाई है। फिर उम्मीदवारों की सूची बनी। वीआईपी को जो उम्मीदवार मिले वो उम्मीदवार किसके थे? सिंबल वीआईपी का… मगर खेला तो शुरू हो चुका था।
बीजेपी की चाल, उसके चारित्रिक ठसक में वीआईपी और उसके कर्ता फंस चुके थे। खैर, एक फ्लैश बैक में ले चलता हूं। याद कीजिए वो दिन, जब मुकेश सहनी नए-नए राजनीति में शुरमा बने। अखबारों में पीएम मोदी के साथ बड़ा-बड़ा विज्ञापन। सन ऑफ मल्लाह। दरभंगा में रैली। ताकत की पैमाइश। मगर, आग को ठंडा होने और राख बनने में देर नहीं लगती।
बीजेपी उसी वक्त से इनकी नस-नस जानती थी। सो, पहले का प्लान अब जाकर सतह पर आया। धीरे-धीरे। यूपी का चुनाव आया। खूब लड़े मुकेश सहनी। खूब बीजेपी को खरी-खोटी सुनाई। मगर, बुरी तरह हारे। जकड़ गए मकड़जाला में। बिहार में अकेले जदयू के साथ रहकर भी जब बीजेपी फाइटर बनी हुई है। अपनी ताकत, संख्या बल का अहसास कराने, दिखाने से सीएम नीतीश कुमार तक को बाज नहीं आ रही। भला, वह किसी और को क्या बख्शेगी।
तभी तो आज खेला… हो गया। अब वो हो गया…जिसकी कल्पना भी मुकेश सहनी विधानसभा चुनाव के वक्त ना कर सके होंगे। वह तो गदगद थे। चलो, अब तो बिहार पर राज करेंगे। मगर, यह बिहार है जनाब! यहां के सत्ता के लिट्मस को समझना, उसे परखना, उसकी बारीक समझना बेहद मुश्किल ही नहीं जोखिम भरा भी है। सो, समझ ना सके, अब भ्रम तब टूटा…जब VIP के तीनों विधायक BJP में शामिल हो गए …। मगर, सवाल यही बोचंहा का क्या होगा? एक बोचंहा के चक्कर में पूरे जमात की कब्र खोद डाली। लेकिन, अब पछताए होत क्या जब…#
खैर, राजनीति में शह और मात की बात अब पुरानी हो चुकी है। जिसकी गोटी लाल उसका ही बड़ा नाम होता है। फिलहाल, अभी हर गेंद बीजेपी के पाले में है। पांच में से चार राज्यों में बंपर और ऐतिहासिक जीत का कमाल है, बीजेपी के विधायक, सीधा जदयू से भिड़ रहे, हालात यह, विधानसभा अध्यक्ष से सीधा सीएम नीतीश कुमार को दो-दो हाथ करना पड़ रहा।
चलिए पहले आपको ले चलते हैं आज बेगूसराय
बेगूसराय में आज क्या हुआ…?
बिहार में भाजपा और जदयू के बीच जारी जंग की आग बेगूसराय में आज खूब जलीं। मानो होलिका फिर वापस लौटी हो सत्ता के गलियारों में। जमकर लताड़…! बेगूसराय में आज भाजपा और जदयू के तमाम नेता आमने-सामने आ गए। मुद्दा बना, रजौड़ा में दो संप्रदाय के बीच का तनाव। तनाव के बाद गिरिराज सिंह घटनास्थल पर गए। नीतीश सरकार को घेरा। इसका रिजल्ट आज प्रकाशित हुआ। पूर्व विधान पार्षद रामवदन राय और भूमिपाल राय के नेतृत्व में जदयू कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला। नारेबाजी की। वह भी बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ। इतना ही नहीं, गिरिराज सिंह का पुतला भी जदयू ने फूंका। ट्रैफिक चौक से कैंटीन चौक तक जुलूस निकाली। पुतला दहन किया। फिर जदयू के नेताओं ने कहा, केंद्रीय मंत्री ने सौहार्दपूर्ण वातावरण को धार्मिक उन्माद देने का काम किया। गिरिराज सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हमेशा अनाप-शनाप बोलते रहते हैं, समाज को लड़ाने का काम करते हैं।
फिर क्या हुआ…भला बिहार में
आज ही 77 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा को यह कहां नागवार गुजरता। बीजेपी तो ताक में है। कहां चुप रहने वाली थी। भारतीय जनता पार्टी ने जदयू नेताओं को स्पष्ट कहा, भाई हम भी चुप ना रहेंगे। जवाब देंगे। अब तुम्हें मिर्ची लगे तो मैं क्या करूं। गिरिराज सिंह का पुतला जला रहे हो जलाओ। मगर, इतना याद रखना। जिलाध्यक्ष राज किशोर सिंह ने दो टूक कहा, भाजपा जदयू नेताओं की यह करतूत सहन नहीं करेगी। तुम सड़क पर उतर कर विरोध करोगे। गिरिराज सिंह का पुतला जलाओगे। भाजपा कार्यकर्ता कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। जदयू यदि गठबंधन धर्म के पालन को तैयार नहीं हैं तो अपने शीर्षस्थ नेताओं के खिलाफ सड़क से संसद तक संघर्ष करे। ऐसे, यूं खुलेआम दोयम दर्जे के कार्यों को हम ना सहेंगे। मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे स्वयं की अस्मिता को जीवित रखने का तुम्हारा यह प्रयास सफल नहीं होने देंगे।
फिर जिला महामंत्री राजीव वर्मा भी खूब गरजे,
कहा- भला बताओ गिरिराज सिंह ने घटना की स्पष्ट और त्वरित कार्रवाई की मांग की तो इससे छटपटाहट क्यों होने लगी। इतना जान लो, जदयू कार्यकर्ता अथवा उनका नेता गठबंधन की नीति को भूलकर अस्पष्टता वाली नीयत से कुछ करेंगे तो भाजपा कार्यकर्ता चुप ना बैठेंगे, स्पष्ट और मुखर प्रतिकार करेंगे।
ओबीसी मोर्चा के जिला संयोजक देवानंद कुशवाहा
भी भड़ास निकाला। कहा, जो नेता आज सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वह याद कर लें गिरिराज सिंह साढ़े चार लाख मतों से जीतकर मंत्री बने हैं। इस जीत में जदयू की भूमिका तिनका मात्र की है। भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से किए जा रहे सेवा कार्य और भाजपा नेताओं की स्पष्ट नीति से सबका साथ सबका विकास की भावना ने जदयू को जीवित रखा है, उसी से जदयू लाभान्वित होती रही है। अब नहीं चेते तो हालत….?
खैर, ताजा मामला यही है
विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) पार्टी के तीनों विधायकों (सवर्णा सिंह, मिश्रीलाल यादव और राजू सिंह) विधानसभा स्पीकर से मिल चुके हैं। भाजपा में लौट आएं हैं। तीनों विधायक के भाजपा में आने के बाद प्रदेश में अब भाजपा नंबर गेम में 77 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी भी बन गई है।
अब इनकी भी जरा सुन लो…
वीआईपी छोड़कर बीजेपी में आए ये राजू सिंह हैं। कहते हैं, मुकेश सहनी मुंबई से आए हुए एक बिजनेसमैन हैं। वह कॉरपोरेट तरीके से पार्टी को चला रहे थे। अब राजू सिंह ने राज भी खोला। कहा, हम बीजेपी के साथ पहले से जुड़े हैं। पार्टी हमको वीआईपी के टिकट पर लड़ने के लिए कहा था। अब वक्त आ गया हम पार्टी की सेवा करें।
इतना ही नहीं, आगे भी बीजेपी का गुणगान। विधायक राजू सिंह कहते हैं, हमारा बैकग्राउंड बीजेपी का है। मुकेश सहनी ने मौका मिलने के बावजूद एनडीए में बेहतर काम नहीं किया। इतना कहकर राजू सिंह डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के साथ बीजेपी ऑफिस के लिए रवाना हो जाते हैं।
भले, वीआइपी के प्रवक्ता देव ज्योति इस मुगालते में हों, उनकी पार्टी निषाद आरक्षण की लड़ाई लड़ रही है। यह लड़ाई अमीर और गरीब की है। हमारे तीन विधायकों ने किसके इशारे पर ऐसा किया ? उन्होंने क्यों ऐसा किया? जनता सब जानती है। हमारे तीन विधायकों को तोड़ा गया है। हम 40 विधायकों के साथ लौटेंगे।
मगर,..फिलहाल…
अब तेरे पास क्या बचा मेरे भाई वीआईपी। सूटकेश उठाओ और आगे बढ़ों । कारण, निर्वाचित प्रतिनिधियों के तौर पर केवल यही तीन विधायक बचे थे। एक विधान पार्षद आप मुकेश सहनी खुद हैं। अहम यह, बतौर विधान पार्षद सहनी जी आपका कार्यकाल कुछ ही हफ्तों में पूरा भी होने वाला है। इसके बाद वीआइपी का कोई भी विधायक या विधान पार्षद बिहार में नामलेवा नहीं बचेगा। अब क्या करोगे, अब भी …बीजेपी से दुआ…सलाम करोगे…मैं तो कहता हूं अब भी अपनी कुर्सी बचा लो…कारण, अंतिम गेंद बची है…गेम तो ओवर है…?
सच मानो तो मनोरंजन ठाकुर के साथ (To be honest, with Manoranjan Thakur)