

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। पूरे प्रदेश से आए करीब 55 शास्त्री स्तर के संबंद्ध व अंगीभूत संस्कृत कॉलेजों के प्रधानचार्यों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने रविवार को कहा कि विलुप्त हो रही शास्त्रार्थ परम्परा में जीवंतता लाने व संस्कृत के सम्पोषण के लिए अब प्रत्येक माह चार प्रधानचार्यों के बीच शास्त्रार्थ होगा।यह कार्यक्रम लगातार चलेगा वह भी मुख्यालय में नहीं बल्कि कालेजों में। इससे आमजनों के साथ साथ छात्रों का भी शिक्षकों के प्रति विश्वास व भरोसा बढ़ेगा और बेशक बच्चे कालेजों की ओर मुखातिब होंगे। कुलपति यहीं नहीं रुके।उन्होंने विकल्प देते हुए प्रधानाचार्यों से कहा कि या तो वे सभी खुद तय कर बताएं कि यह शास्त्रार्थ का कार्यक्रम कहां से शुरू किया जाय या फिर कार्यालय स्तर से तय कर ऐसी सूचना कालेजों को भेज दी जाएगी। ऐसे कार्यक्रमों में वे खुद मौजूद रहेंगे।
जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने देशज टाइम्स को बताया कि जिन प्रधानाचार्यो का एक ही कालेज में पांच साल पूरा हो गया है उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा।प्रशासनिक बेहतरी के लिए कुलपति ने इसे जरूरी बताया।
सरकार व राजभवन के कड़े रुख का हवाला देते हुए उन्होंने कालेजों में छात्रों की संख्या हर हाल में बढ़ाने को कहा। वीसी ने स्पष्ट कहा कि जिन शास्त्री कालेजों से कम से कम साठ छात्र प्रति वर्ष परीक्षा नहीं दे पाएंगे वैसे सम्बद्ध कालेजों की सम्बद्धता खत्म हो जाएगी और अंगीभूत कालेजों के प्रधानाचार्यो को स्वैच्छिक अवकाश दे दिया जाएगा। प्रधानाचार्य इसे धमकी नहीं, पूर्व आवश्यक सूचना समझें। स्तित्व पर खतरा है इसलिए विचारों में संशोधन लाएं।प्रत्येक कालेज को अपना वेबसाईट तैयार करने का निर्देश देते हुए वीसी ने कार्यशाला व सेमिनार खूब आयोजित करने की सलाह दी।
कार्यशाला के मुख्यवक्ता प्रोवीसी प्रो. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि सभी कॉलेजों का नैक मूल्यांकन बेहद जरूरी है। इसके बिना कालेजों की आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने बहुत ही गहराई से उन विषयों को रेखांकित किया जिससे नैक कराने में आसानी होगी और बेहतर प्वाइंट भी हासिल किया जा सकता है।कालेजों में हो रही शैक्षणिक व अन्य गतिविधियों को विधिवत संकलित करने तथा उसके आंकड़ों को व्यवस्थित कर लाभ लेने की तरकीब भी उन्होंने सुझायी।उन्होंने कहा कि तैयार डेटा हर मामले में मदद करेगा। इसके लिए प्रधानाचार्यो को होम सूक्ष्मता से होम वर्क करना होगा।
वहीं, कार्यशाला के विशिष्ट वक्ता कुलानुशासक प्रो. सुरेश्वर झा ने कहा कि नैक मूल्यांकन कराने से पहले अगर कम से कम सात तत्वों का गम्भीरता से अध्ययन कर लिया जाएगा तो सभी समस्याओं का हल यूं ही निकल आएगा। उन्होंने सुझाया कि पाठ्यक्रम की संरचना,छात्रों के नामांकन व उसकी विवरणी,कालेजों में शोधकार्य व नवीन उद्भावना,आधारभूत संरचना,छात्रों का फीडबैक,प्रशासनिक नेतृत्व व प्रबंधन,संस्थागत मूल्य व संस्था का सर्वोत्तम पक्ष ऐसे कारक हैं जो नैक मूल्यांकन का रास्ता बेहद ही आसान कर देगा।इसपर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए।
सीसीडीसी प्रो. श्रीपति त्रिपाठी के संयोजन में हुई इस कार्यशाला के दूसरे विशिष्ट वक्ता डॉ. नवीन कुमार झा ने नैक से जुड़े प्रपत्रों व उसकी पेचीदगियों को समझाया। उन्होंने विस्तार से सभी पहलुओं को उजागर करने का भरपूर प्रयास किया।किस कागजातों को कैसे व्यवस्थित किया जाय इस पर भी उनका फोकस रहा। इसी क्रम में मअ रमेश्वरीलता कालेज, दरभंगा का नैक करा चुके प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश्वर यादव व वैद्यनाथ पांडे आर्य संस्कृत कालेज, सिवान के प्रधानाचार्य डॉ. मनोज कुमार ने अपने अनुभवों को शेयर किया।
दरबार हॉल में डॉ. सत्यवान कुमार के संचालन में संपन्न कार्यशाला में कालेजों की वित्तीय हालात व यूजीसी की राशि की उपयोगिता की स्थिति को भी प्रो0 त्रिपाठी ने बताया। मौके पर पूरे बिहार से आये प्रिंसिपल मौजूद थे और कुलसचिव कर्नल नवीन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।










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