


नई दिल्ली, देशज टाइम्स ब्यूरो। खिचड़ी पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन पंद्रह जनवरी को होगा। दिल्ली की सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था मिथिलालोक फाउंडेशन ने पंद्रह जनवरी को खिचड़ी दिवस’ मनाने का फैसला लेते हुए इसकी तैयारी तेज कर दी है। इसमें मिथिला संस्कृति के संरक्षण व संबर्द्धन के साथ ही खिचड़ी को एक ‘मॉडर्न डिश’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए ‘खिचड़ी पे चर्चा होगी। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने बताया कि भारत की सांस्कृतिक विविधता व वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में खिचड़ी का महत्व बढ़ गया है। इसका का एक प्रतीकात्मक संकेत समन्वय और सामंजस्य के रूप में भी दिखाई देता है। माना जाता है कि संक्रांति के स्नान के बाद पृथ्वी पर फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है तो क्यों न हम भी इसी संकल्प के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हुए इसे मनाएं।

उन्होंने कहा कि भारत पर्व-त्योहारों का देश है लेकिन खास बात यह है कि इन सबका अपना विशिष्ट महत्व भी है। यहां साल की शुरुआत के साथ ही मनाया जाने वाला पहला महत्वपूर्ण त्यौहार मकर संक्राति है। फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. झा ने देशज टाइम्स को बताया कि उत्तर प्रदेश व बिहार में इसे खिचड़ी या ‘तिलासंक्रांति’ के नाम से जाना जाता है। पौष मास में जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब इस पर्व को मनाया जाता है। बिहार के मिथिलांचल में खिचड़ी मनाने की सदियों पुरानी परंपरा रही है जिसमें लोग न केवल सुबह उठकर स्नान-ध्यान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं बल्कि लोगों को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें खिचड़ी भी खिलाते हैं। जानकारी के अनुसार, खिचड़ी पे चर्चा कार्यक्रम के प्रायोजकों में अंग्रेजी सिखाने वाली संस्था लिंग्वा परिवार भी शामिल है। कार्यक्रम का समय संध्या पांच बजे से होगा।










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