

पृथक मिथिला राज्य की मांग के मकसद से जंतर मंतर पर मिथिलांचल के अनेक क्रांतिकारी सेनानियों ने बैद्यनाथ चौधरी बैजू की अगुआई में प्रदर्शन में मैथिली भाषा के उद्घोषक पं.कमला कांत झा, पूर्व मंत्री डॉ. शमयले नवी, प्रो अमरेंद्र झा, शिशिर झा,संतोष झा,रणधीर कुमार, निगम पार्षद सरोज मोहन झा, अंजू झा, जितेंद्र पाठक, कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेता तपन झा, विनोद राज समेत अनेक चर्चित चेहरों ने पृथक मिथिलांचल राज्य की आवाज को बुलंद किया। मंच से पूरे दिन मिथिलांचलवासियों को एक होकर पृथक मिथिला राज्य के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया गया। इस दौरान दिल्ली में रहने वाले मिथिलांचलियों के आने-जाने का क्रम पूरे दिन चलता रहा।
कुंदन राय, देशज टाइम्स दिल्ली ब्यूरो। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति ने पृथक मिथिला राज्य के लिए आवाज बुलंद जंतर मंतर पर मंगलवार को जमकर प्रदर्शन किया। मौके पर आयोजित सभा की अध्यक्षता डॉ. शमायले नवी और संचालन इंजीनियर शिशिर कुमार झा ने की। समिति के अध्यक्ष डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला के सामाजिक, भाषायी, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व औद्योगिक आजादी के बिना मिथिला का विकास असंभव है। इसके लिए पृथक मिथिला राज्य ही एकमात्र विकल्प है। इसके लिए डॉ. बैजू ने सभी मैथिली संगठनों से आह्ववान कि अब समय आ गया है।
सभी लोग साथ मिल इस लड़ाई को मजबूती प्रदान करें। साथ ही उन्होंने दूसरे चरण की मिथिला राज्य परिसीमन जागृति यात्रा की घोषणा 21 से 24 दिसंबर तक करने की बात कही जिससे मिथिलावासी पृथक मिथिला राज्य संघर्ष से परिचित हों। समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रो. अमरेंद्र झा व राष्ट्रीय प्रवक्ता ई. शिशिर कुमार झा ने सरकार से मांग की है कि मैथिली को सीटेट में स्थान, मैथिली को इसी सत्र से सीबीएसई में लागू करने, मिथिलाक्षर के लिए मृतप्राय आयोग को भंग कर नए आयोग की स्थापना की जाए, अविलंब हवाई यात्रा चालू करने एम्स, आईआईटी, आईआईएम, आईटी पार्क की स्थापना, बाढ़, सुखाड़ का स्थायी निदान व हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग की। प्रमुख वक्ताओं में सांसद वीरेंद्र चौधरी, विधायक सुधांशु शेखर झा, कमलाकांत झा, आरएन झा, पार्षद रंजीत कुमार व अजित झा, विनीत झा, विनोद राज झा, हीरालाल प्रधान, अंजू झा,कवि विकलजी, राजु यादव समेत अन्य प्रमुख थे। मौके पर राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की मदन कुमार झा ने ज्ञापन सौंपा।
1995 से चल रहा प्रदर्शन का सिलसिला
दिल्ली की धरना स्थली कही जाने वाली जंतर-मंतर पर 1995 से लोकसभा के तीनों सत्र में एक दिवसीय धरना का आयोजन मैथिली सेनानियों की ओर से किया जाता रहा है। इस धरना को दिल्ली में पंजीकृत हर मैथिल हितकारी संस्थाओं का भी पूर्ण समर्थन रहता है। एक अच्छी संख्या में इस मौके पर लोगों का जुटान होता रहा है। धीरे-धीरे अब इसे युवा संगठनों का भी साथ मिलने लगा है। मगर दुखद यही है कि सरकार का ध्यान अब तक इस मूद्दे की ओर नहीं गया है।
प्रगति पथ पर तो हैं हम मगर कसर बाकी है
2002 में मैथिली भाषा को संविधान के अष्ठम अध्याय में जगह दी गई। अब 2018 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में सेकेंडरी स्तर तक भाषा के अध्ययन की सूची में जगह मिल गई। सरकार के इन कदमों से यह बात तय है कि हम प्रगति पथ पर हैं पर अलग मिथिलांचल राज्य के लिए हमें अपनी क्रांति की धार को और तीव्र व असरदायक बनाने की आवश्यकता है।













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