चंदन पांडेय, दरभंगा देशज टाइम्स ब्यूरो। श्रीरमेश्वरी श्यामा मंदिर में श्यामा नामधुन नवाह यज्ञ में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यज्ञ वेदी पर पूर्णाहुति की प्रक्रिया के बीच हवन, जप, नामधुन से पूरा परिसर गूंजता रहा, ‘जय श्यामा माई श्यामा माई श्यामा माई जय श्यामा माई। मंत्र का अहर्निश जयघोष समाप्ति का कुछ घंटा ही रह गया है लेकिन श्रद्धालुओं के मन में अब भी नवाह में उपस्थित होने की भावना प्रबल बनी हुई है। मौके पर श्यामा मंदिर में भोजन करती कन्याओं के पैर छूने भक्तों की भीड़ लगी रही। वहीं, श्यामा मंदिर में पूजा- अर्चना करते श्रद्धालुओं का दिल झूम उठा था। जानकारी के अनुसार, महाराजा रमेश्वर सिंह की चिता पर माता सीता स्वरूपा मां श्यामा सदाशिव के साथ विराजमान हैं। वहीं, उनके दाहिने भाग में महाकाल व बाएं में बटुक और गणेश हैं। मां श्यामा की विशाल प्रतिमा अद्वितीय है। इसमें वह नागयज्ञोपवितांगी स्वरूप में विराजमान हैं। जहां तक जय श्यामा माई मंत्र की बात है तो जानकार बताते हैं कि यह मंत्र मंदिर के संस्थापक पुजारी सीताराम झा व्यास ने निर्धारित किया था। लोगों ने मौके पर बताया कि पंडित व्यास महाराजा रमेश्वर सिंह की कई तंत्र साधनाओं के सहकर्मी थे, जिन्हें मंदिर स्थापना के लिए दरभंगा के अंतिम महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह ने आमंत्रित किया था। यह नवाह यज्ञ जलकल्याणार्थ शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य प्राकृतिक विपदाओं से मिथिला को बचाना था। वैसे भी कलयुग में नामधुन की प्राथमिकता रही है। ऐसे में नामधुन के साथ तांत्रिक प्रयोग का व्यापक असर माना गया है। श्रीरमेश्वरीश्यामा मंदिर में लगातार चलता आ रहा नवाह यज्ञ भक्तों के लिए संजीवनी का एक स्वरूप माना जाता है।मान्यता है कि राग-द्वेष व संसारिकता को भूलकर जो भक्त माता के दरबार में पहुंचते हैं, उनकी मान्यता पूरी होती है। यही कारण है कि श्मशान भूमि होने के बावजूद माधवेश्वर प्रांगण में शुभ कार्य पूरे वर्ष होते हैं।
नौ दिन, मकसद एक, जनकल्याण, दरभंगा का उत्थान…जय श्यामा
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