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7 नवम्बर, 2024
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शून्य से सौ, शिकार से हवनकुंड तक हर जगह गणित और रामानुजन

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शून्य से सौ, शिकार से हवनकुंड तक हर जगह गणित और रामानुजन

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। गणित मानवीय जीवन का आधार स्तंभ है। इसके बिना हमारा एक भी कार्य संपादित नहीं हो सकता। शायद इसी महत्त्वता को महसूस कर गणितज्ञ रामानुजन ने गणित को ही अपनी भाषा बना लिया। उनका जीवन गणित को ही समर्पित रहा और नेचुरल नंबरों के अनगिनत चमत्कार उन्होंने प्रस्तुत किया। इसलिए उन्हें अंकों का जादूगर भी कहा जाता है। यह बात रामानुजन जयंती राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर एमएलएसएम कॉलेज के कांफ्रेंस हॉल में रामानुजन व गणित पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए सीएम साइंस कॉलेज के गणित विभागाध्यक्ष डॉ. हरिशचंद्र झा ने कही। स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन व आईक्यूसी, गणित विभाग एमएलएसएम कॉलेज की ओर से आयोजित सेमिनार में डॉ. झा ने कहा कि मध्यवर्गीय परिवार से आने वाले रामानुजन बचपन से ही गणित में रम गए और ऐसे रमे कि बाकी विषय को भूल गए। नतीजनतन गणित में तो उन्हें हंड्रेड में से हंड्रेंड अंक आते थे और बाकी विषयों में डबल शून्य। पर गणित के लिए ही निर्मित रामानुजन ने गणित के सहारे अपना संघर्ष जारी रखा और विख्यात गणितज्ञ प्रो. हार्डी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, तब जाकर उन्हें अंतराष्ट्रीय पहचान मिली। वस्तुतः गणित में जबतक नंबर कायम है, तबतक रामानुजन के कार्यों को याद किया जाता रहेगा।

शून्य से सौ, शिकार से हवनकुंड तक हर जगह गणित और रामानुजन

डॉ. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा , गणित कोई विषय नहीं यह सार्वभौमिक

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि गणित कोई विषय नहीं है, यह सार्वभौमिक है। इसका इस्तेमाल वैसे लोग भी सहजता से करते हैं जो अशिक्षित हैं। गणित तब भी इस दुनिया में कायम था जब शिक्षा का अस्तित्व नहीं था। लोग गणित को जानते नहीं थे पर इस्तेमाल करते थे। पाषाण युग में इसका इस्तेमाल शिकार करने के लिए होता था। तो वैदिक युग में हवन कुंड बनाने के लिए। रसायन शास्त्र के विद्वान प्रो. मिश्रा ने बताया कि ज्यामिति, कैलकुलस, बीज-गणित आदि का आविष्कार भारतीय गणितज्ञों ने किया पर विदेशी आक्रांताओं ने विश्वगुरू कहलाने वाले भारत से न सिर्फ धन-दौलत को लूटा बल्कि हमारी बौद्धिक संपदा को भी अपने नाम से पेटेंट करा लिया। महाविद्यालय के बर्सर डॉ. माधव चौधरी ने कहा कि रामानुजन के जीवन से साबित होता है कि गरीबी प्रगति में बाधक नहीं बनती है। उन्होंने जिस तरह से संघर्ष करते हुए अंकों के खेल को प्रस्तुत किया है, वो अनुकरणीय है।

डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा, गणित के बिना हर विषय अधूरा

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि गणित को परफैक्ट साइंस की संज्ञा यूं ही नहीं दी गई है। इसके बिना हर विषय अधूरा है। इसमें कोई शक नहीं है कि गणित की उत्पति विधिवत् रूप से भारत में हुई और इसका विवरण यजुर्वेद ‘गणक’ नाम से मिलता है। हमारे मिथिला में भी गणित खूब फला-फूला है। ज्योतिष के विद्वानों ने गणित को एक नई ऊंचाई दी है। राष्ट्रीय गणित दिवस का प्रारंभ 2012  में हुआ और भारतीय गणित में रामानुजन के कार्यो को देखते हुए उन्हें यह दिवस पर समर्पित किया गया है।

शून्य से सौ, शिकार से हवनकुंड तक हर जगह गणित और रामानुजन

डॉ. रामचंद्र चंद्रेश ने माना, गणित संसार का आधार

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी विभाग के डॉ. रामचंद्र चंद्रेश ने गणित व रामानुजन को काव्य के माध्यम से व्यक्त करते हुए कहा कि गणित संसार का आधार है। विषय प्रवेश व संचालन करते हुए गणित विभागाध्यक्ष डॉ. विजेंद्र प्रसाद सिन्हा ने रामानुजन के पूरे जीवनवृत को रेखांकित करते हुए कहा कि गणित को अपना ध्येय बनाने वाले रामानुजन के अनगिनत कार्य अनुउत्तरित पड़े हुए हैं और शोधार्थियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मुकेश कुमार झा ने कहा, गणित, उसकी दीवानगी से मिला मुकाम

फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि गणित के प्रति रामानुजन की दीवानगी ने ही उन्हें वह मुकाम दिया है जिसकी तमन्ना हर शख्यित को होती है अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष सह आईक्यूसीयू कॉर्डिनेटर डॉ. शौकत अंसारी ने सधे व सटीक शब्दों में किया। मौके पर डॉ. लोकनाथ झा, डॉ. चंद्र अशोक कुमार, डॉ. राम सुदिष्ट चौधरी, डॉ. निवास झा, डॉ. बाबूनंद चौधरी, डॉ. दिनेश चौधरी, डॉ. मो. अनीसुर्र रहमान, फाउंडेशन के राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, रविंद्र कुमार चौधरी, नवीन कुमार समेत अन्य मौजूद थे।

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