

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। ऐतिहासिक दरबार हॉल में आयोजित विद्वत परिषद की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभागों में छात्रों की वर्तमान उपस्थिति पर घोर चिंता जाहिर करते हुए शनिवार को कहा कि हर हाल में छात्रों की संख्या बढ़ाइए अन्यथा कॉलेज ही नहीं बच पाएंगे। पुरानी व्यव्यस्था को तब की बात कहते हुए उन्होंने हर हाल में आज के संदर्भ में छात्रों का संख्या बल बढ़ाने पर जोर दिया। इसके समर्थन में कुलपति ने तर्क दिया कि कॉलेजों व विभागों में नामांकन की अधिकतम छात्र संख्या बढ़ाकर भी हम सभी अपनी दमदार उपस्थिति कर सकते हैं। साथ ही उसकी उपस्थिति भी बढ़ाई जाएगी। इस पर पूरा सदन एकमत था। यह जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने देशज टाइम्स को बताया कि इसी क्रम में सामूहिक निर्णय हुआ कि पीजी से लेकर उपशास्त्री तक की कक्षाओं में अब पहले से अधिक छात्रों का नामांकन होगा। प्रधाधनाचार्यो व विभागाध्यक्षों को यह अधिकार दिया गया कि विशेष परिस्थिति में छात्रों की तय नामांकन संख्या से भी अधिक बच्चों का वे दाखिला ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कुलपति से लिखित स्वीकृति लेनी होगी। फिलहाल सामूहिक निर्णय हुआ कि पीजी में प्रति वर्ष साहित्य में 150, व्याकरण में सौ, ज्योतिष में चालीस-चालीस, दर्शन ,वेद,धर्मशास्त्र व कर्मकांड में पचास-पचास छात्रों का अब नामांकन हो पाएगा। इसी तरह जिन कॉलेजों में आचार्य की पढ़ाई हो रही है वहां भी साहित्य में 120, व्याकरण में सौ, ज्योतिष में चालीस-चालीस, वेद,दर्शन व धर्मशास्त्र में पचास-पचास छात्रों का नामांकन होगा। वहीं दूसरी ओर, उपशास्त्री कॉलेजों में भी अब साठ से बढ़ाकर हर एक साल सौ छात्रों का एडमिशन करना होगा। शास्त्री स्तर के कॉलेजों में साहित्य, व्याकरण व ज्योतिष में छात्रों की संख्या पूर्ववत रखते हुए वेद, दर्शन, धर्मशास्त्र विषयों में बीस-बीस छात्रों के नामांकन का निर्णय लिया गया। यानी जिन विषयों में संख्या बल निर्धारित नहीं था वहां उसे क्लियर कर दिया गया।
परिषद की बैठक में कॉलेज निरीक्षक डॉ. दिनेश्वर यादव के सुझाव पर तय हुआ कि अब नामांकन व परीक्षा प्रपत्रों के स्वरूप में बदलाव किया जाएगा। नए फॉर्म में छात्रों का मोबाइल नंबर, आधार संख्या व बैंक खातों की विस्तृत जानकारी रहेगी ताकि छात्रों को सभी सुविधाएं समय पर मयस्सर हो सके। कुलपति प्रो. झा ने प्रपत्रों में बदलाव के लिए एक कमेटी भी बनाने का सुझाव दिया। ऐसे ही एक अन्य अहम निर्णय यह भी हुआ कि बैचलर इन लाइब्रेरी साइंस व डिप्लोमा इन लाइब्रेरी साइंस के सेमेस्टर प्रणाली पर बने पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद ने हरी झंडी दे दी। इसके पाठ्यक्रम स्वीकृति के लिए पहले ही राजभवन भेजा जा चुका है। वहां से सहमति मिलते ही इसकी पढ़ाई संस्कृत विश्वविद्यालय में भी शुरू हो जाएगी। बैठक में इसके अलावा और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। धन्यवाद ज्ञापन डीन प्रो. शिवाकांत झा ने ज्ञापित किया जबकि बैठक के प्रस्तावों पर सीसीडीसी प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने प्रकाश डाला। बैठक में कुलसचिव नवीन कुमार के अलावा प्रो. शशिनाथ झा, प्रो. प्रजापति त्रिपाठी, प्रो. शक्तिनाथ झा, डॉ. विनय कुमार मिश्र, डॉ. पुरेंद्र वारिक, डॉ. गजानन पांडेय,डॉ.आरपी चौधुर,डॉ. बाल मुकुंद मिश्र समेत सभी सदस्य मौजूद थे।
इंसेट
प्रोवीसी ने किया परीक्षा केंद्र का निरीक्षण, दिए निर्देश
दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो. चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह ने आज आचार्य के परीक्षा केंद्र म0 अ0 रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा का औचक निरीक्षण किया और कदाचार रहित संचालन को लेकर केंद्राधीक्षक प्रचार्य डॉ दिनेश झा को कई निर्देश भी दिए। इसी परीक्षा केंद्र को केंद्रीकृत कर आचार्य की परीक्षा ली जा रही है। वहीं बाद में कुलसचिव नवीन कुमार ने भी केंद्र का निरीक्षण किया। यहां करीब साढ़े पांच सौ से अधिक छात्र परीक्षा दे रहे हैं।










You must be logged in to post a comment.