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10 नवम्बर, 2024
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संस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

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संस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। सीनेट की बैठक में प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने विश्वविद्यालय के 2019-20 वर्षीय आय- व्ययक को सदन की स्वीकृति के लिए उपस्थापित किया। इसमें योजना मद के 21 करोड़ 65 लाख 36 हजार 76 रुपए व गैर योजना मद के तीन अरब 13 करोड़ 33 लाख 4 हजार 159 रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। इस प्रकार बजट में कुल व्यय तीन अरब 34 करोड़ 98 लाख 40 हजार 235 रुपए जबकि कुल आय मात्र दो करोड़ 63 लाख 32 हजार सात सौ रुपए दिखाया गया है। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने देशज टाइम्स को बताया कि इस आलोक में देखें तो कुल तीन अरब 32 करोड़ 35 लाख 7 हजार 535 रुपए के घाटे के बजट को सदन में रखा गया जिसे सदन ने पारित कर दिया। साथ ही बताया गया है कि इस घाट की पूर्ति राज्यनुदान, आंतरिक श्रोत की आय में बृद्धि तथा व्यय मद में कटौती कर की जाएगी।वहीं एसीपी व एमसीपी के मामले में गठित त्रिसदस्यीय कमेटी के प्रतिवेदन को भी सदन ने मान लिया।

वीसी ने कहा, मिलकर करेंगे प्रयास, लौटाएंगें संस्कृत की लुप्त गरिमा

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेट की दरबार हॉल में आयोजित 42वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने भारतीय संस्कृति व उसके प्राण प्राच्य विद्या के संरक्षण व संबंर्धन के साथ विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए शनिवार को उपस्थित सभी संस्कृतानुरागी मान्य सदस्यों से सद्भाव, सहयोग व मार्गदर्शन मांगा। उन्होंने निवेदन किया कि अगर सभी मिलकर प्रयासरत रहेंगे तो संस्कृत की लुप्त हो रही गरिमा पुनः वापस होगी और उसका शंखनाद दिग-दिगंत में गूंजायमान होते रहेगा। साथ ही उन उद्देश्यों की भी पूर्ति होगी जिनके लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना में माहाराजाधिराज डॉ. सर कामेश्वर सिंह जी ने अपनी अपूर्व दानशीलता का परिचय दिया था। इसके पूर्व कुलपति ने माहाराजाधिराज के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सभी सम्मानित सदस्यों का स्वागत किया, अभिनंदन किया। इसी क्रम में अपने अभिभाषण में उन्होंने विश्वविद्यालय की ढेर सारी उपलब्धियों व भविष्य की प्राथमिकताओं को भी गिनाया।

संस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

 बिलिस-डिलिस की जगी आस

विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत के अनुसार कुलपति की यह घोषणा सबसे आह्लादित करने वाली है कि भविष्य में शीघ्र ही यहां बैचलर इन लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस ( बिलिस )यानी पुस्तकालय व सूचना विज्ञान में स्नातक के अलावा डिप्लोमा इन लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस ( डिलिस ) यानी पुस्कालय व सूचना विज्ञान में डिप्लोमा की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। राजभवन के निर्देशानुसार इस दोनों पाठ्यक्रमों को अब सेमेस्टर प्रणाली में तैयार कर महामहिम की स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा गया है।आदेश प्राप्त होते ही व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के तहत ये कोर्स शुरू हो जाएंगे। न्यास योग व तनाव प्रबंधन एवम कुंडली निर्माण का छह मासीय सर्टिफिकेट कोर्स पहले से ही जारी है।सीसीए , वास्तु विज्ञान, हस्त रेखा विज्ञान,कर्मकांड जैसे पाठ्यक्रमों को भी शुरू किया जाएगा।

 जीवंत होगा ललितकला संकायसंस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय का ललितकला संकाय वर्षों से बंद है जबकि व्यावसायिक दृष्टि से यह संकाय अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे समन्धित एक प्रस्ताव तैयार कर राजभवन भेजा गया है। इस पर स्वीकृति मिलते ही ललितकला, संगीत व नाट्य आदि विषयों में स्ववित्त पोषित योजना के तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू हो जाएगा।

 राजप्रसाद के जीर्णोद्धार का रास्ता साफ

कुलपति के अभिभाषण का यह अंग हर किसी को सुकून दे गया कि ऐतिहासिक व पुरातत्व महत्व के संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य प्रशासनिक भवन यानी पूर्व के राजप्रसाद का अब जीर्णोद्धार होगा। वीसी ने कहा कि मुख्यमंत्री की विशेष रुचि के कारण उनका प्रयास सफल हो रहा है।पूरे भवन की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी करायी जा चुकी है ताकि जीणोद्धार के कारण इसकी मौलिक संरचना व स्तित्व में कोई बदलाव नहीं हो । बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम ने जीर्णोद्धार के लिए छह करोड़ 94 लाख 47 हजार रुपए का प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजा है।तकनीकी अनुमोदन भी मिल चुका है।

 विश्वविद्यालय सूबे में अव्वल

कुलपति ने यह बताते हुए हर्ष व्यक्त किया कि हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है शैक्षणिक सत्र का पूर्णतः नियमित हो जाना। सूबे के यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसने 2018 के स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं के परीक्षा परिणाम घोषित कर अपने छात्रों को दीक्षांत समारोह आयोजित कर प्रमाणपत्र भी दे चुका है। दीक्षांत में खुद कुलाधिपति उपस्थित थे और उन्हीं के आदेशानुसार भारतीय परिधान की व्यवस्था की गई थी। छात्र महामहोपाध्याय परम्परा के अनुरूप पाग धारण किये हुए थे।इसके अलावा छात्रों में नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए विश्वविद्यालय ने हमेशा ख्याल रखा है। प्रदेश में सबसे पहले 2018-19 के लिए छात्र संघ का चुनाव अपने यहां ही हुआ है।

 नैड के साथ विश्वविद्यालय का करारसंस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

कुलपति ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय का नेशनल एकेडमिक डिपोजिटरी यानी नैड के साथ अनुबंध हो गया है।इसी प्रकार विश्वविद्यालय से दिए जाने वाले सभी परीक्षा प्रमाणपत्रों को केंद्र सरकार के डिजिलॉकर नामक एप्प पर भी शीघ्र डालने का काम किया जायेगा। इस नई व्यवस्था से छात्रों य आवेदकों को देश स्तर पर सहूलियत होगी। उसके प्रमाणपत्रों की जांच में अब लम्बी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी और उसके सर्टिफिकेट के ब्यौरे भी सुरक्षित रहेंगे।कहीं से और कभी भी प्रमाणपत्रों की प्रमाणिकता देखी व परखी जा सकती है।

 उपलब्धियों की रही लंबी फेहरिस्तसंस्कृत विवि में तीन अरब 33 करोड़ के घाटे का बजट पारित, बिलिस-डिलिस की पढ़ाई शीघ्र, जीवंत होगा ललित कला संकाय, मुख्य भवन के जीर्णोद्धार की कवायद तेज, नैड के साथ विवि का करार

कुलपति ने अपने कार्यकाल की चुनिंदा उपलब्धियों से भी सदन को रूबरू कराया। सबसे प्रमुख गतिविधियों में विलुप्त हो चुकी शास्त्रार्थ परंपरा को फिर से बहाल करना रहा। वीसी ने कहा कि विद्वान शिक्षकों के विशेष व्याख्यानों को दुनिया के समक्ष रखने के लिए उसे यूट्यूब पर प्रसारित किया जा रहा है। उपाकर्म की परम्परा पर पुस्तक का प्रकाशन भी कराया गया। छात्रवृति के साथ सुव्यवस्थित छात्रावास की व्यवस्था करायी गयी। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर अध्यापन को पटरी पर लाने का प्रयास किया गया। शिक्षकों व कर्मियों को प्रोन्नति दी गयी।एसीपी व एमसीपी का लाभ देने के लिए वेतन का निर्धारण किया गया।अब सेवानिवृति के दिन ही कर्मियों को सेवांत लाभ दिया जा रहा है। पेंशनरों का अभिलेख भी तैयार कर लिया गया है। नियमित रूप से पेंशन अदालत लगाई जा रही है।इसी का नतीजा है कि पेंशन भुगतान से संबंधित एक भी मामला लंबित नहीं है।

विश्वविद्यालय का डीपीआर तैयार

खुशी की बात यह है कि विश्वविद्यालय मुख्यालय को पूर्ण विकसित तथा सुविधासम्पन्न बनाने के लिए डीपीआर यानी विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली गयी है जो बीस करोड़ की है। वीसी ने बताया कि इसमें दो चरणों मे सौंदर्यीकरण के साथ अपग्रेडेशन का कार्य किया जाएगा। इसी दौरान नए वर्ग कक्षों, मनोरंजन गृहों, छात्रावास, सड़क,अल्पाहारगृह का निर्माण होगा। बुक स्कैनर, कम्प्यूटर सेंटर, पुस्कालय, सोलर ऊर्जा,प्रोजेक्टर समेत अन्य सुविधाओं को बहाल किया जाएगा। साथ ही सौंदर्यीकरण का भी बड़े स्तर पर कार्य होगा।

समस्याएं भी कर रही परेशान

वीसी ने सभी सदस्यों को बताया कि विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण स्थायी प्रशासनिक पदों की रिक्ति के कारण कार्यो के सम्पादन में बराबर व्यवधान उतपन्न होता है। शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के सहारे विभागीय काम चलाये जा रहे हैं।शिक्षकेतर कर्मियों की संख्या भी रोज घटते जा रही है। कार्यरत अस्थायी शिक्षकों के नियमितीकरण व उनके भुगतान की समस्या यथावत है। सरकार ने इनका वेतन अनुदान बन्द कर रखा है।संबंद्ध कॉलेजों के 67 शिक्षकों का मामला भी अधर में ही है।

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