


दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। लनामिविवि में शुक्रवार को सीनेट की बैठक महज औपचारिक साबित हुई। बैठक शुरू होते ही मुंबई की कंपनी को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ते नजर आए। जमकर हंगामा हुआ लेकिन जीत आखिर वीसी एंड कंपनी की ही हुई कारण उनकी संख्या बैठक में ज्यादा थी। बैठक के दौरान मुंबई की निजी कंपनी स्कूल गुरु व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के बीच करार पर जमकर विवि प्रशासन पर प्रहार शुरू हुआ। हमला शुरू ही हुआ था मामला गरमाया ही था कि प्रशासन के कुछ चहेतों ने मामले को शांत करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। जानकारी के अनुसार, सीनेट सदस्य चंदन कुमार ने मंच से यह मुद्दा उठाया कि मुंबई की निजी कंपनी स्कूल गुरु व दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के बीच करार कैसे हुआ इसका जवाब देते हुए वीसी प्रो. एसके सिंह ने कहा कि इस मामले में जांच कमेटी बनी है।

वीसी ने बचाव करते कहा कि अगर कमेटी करार को गलत कहेगी तो हम कदम वापस ले लेंगे। इसी बीच सीनेट सदस्य व लोजपा के वरिष्ठ नेता गगन कुमार झा ने वीसी को टोकते हुए औचित्य पर जैसे ही सवाल उठाए उनका साथ देने चंदन भी इस बहस में साथ हो लिए। विरोध करते हुए दोनों सदस्य मंच तक जैसे ही पहुंचे चारों तरफ से वीसी समर्थकों ने उन्हें घेर लिया। मौके पर शरीर से शरीर भी चिपके धक्का-मुक्की भी हुई। सबसे पहले उठकर पहुंचे जीडी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने विरोध कर रहे सीनेट सदस्यों में गगन कुमार झा व चंदन सिंह को रोक डाला। ऐसा करते देख प्रो. विनय कुमार चौधरी व विजय कुमार झा समेत कई अन्य सदस्य यह कहते उग्र हो गए कि सदस्यों को रोकने का अधिकार नहीं है। सिर्फ अध्यक्ष को ही यह अधिकार प्राप्त है। इसके बाद माहौल और गरम हो गया। लगभग एक घंटे तक सदस्यों के बीच जमकर तीखी बहस हुई।

बाद में अन्य सदस्यों के हस्तक्षेप से माहौल शांत हुआ। बैठक आगे बढ़ी। कुलपति के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया के दौरान कई सदस्यों ने दूरस्थ शिक्षा निदेशालय व स्कूल गुरु के बीच हुए अनुबंध को रद्द करने की मांग रखी। वैसे भी सीनेट के औचित्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। आक्रोशित सदस्यों का कहना है कि वीसी कुछ अपने चहेते से अपनी बात सामने रखवाते हैं और सच बोलने वालों को रोका जाता है अगर ऐसा होता रहा तो यह सीनेट के भविष्य के लिए बेहतर कदम साबित नहीं होगा। इधर, बाहर में आइसा कार्यकर्ताओं ने भी जमकर हंगामा किया जिसे बाद में वहां पहुंचे सदस्यों ने शांत किया। वैसे, सीनेट के औचित्य पर आजीवन सदस्य मनीष राज ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए जिससे तय हो गया कि सीनेट सिर्फ दिखावे व गिफ्ट के साथ बेहतर स्वादिष्ट भोजन के लिए ही अब जाने जाना लगा है जिससे इसके औचित्य व विवि के भविष्य को लेकर संशय उठ गए हैं।










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