back to top
2 जुलाई, 2024
spot_img

किसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

spot_img
Advertisement
Advertisement

किसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

कुंदन राय, दिल्ली ब्यूरो चीफ देशज टाइम्स ब्यूरो। पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक प्रश्न बार बार कौंध रहा है कि देश से लेकर प्रखंड तक कि राजनीति का शिकार आखिरकार किसान ही क्यूं ? इसके पीछे मुख्य वजह क्या हो सकता है?क्यों नही भारत के किसान आर्थिक रूप से भी सशक्त किसानों वाली देश की श्रेणी में आ खड़े होते? मानसिक विवेचना के दौरान कुछ वादे, राजनीतिक पार्टियों की इसके पीछे की इरादे व और अंत में अगली चुनाव के केंद्र विंदू में वही बेबस किसान।किसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

भारत में आबादी के आधे से अधिक किसानकिसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

आज भी देश में 52 फीसद किसान हैं जो गांव या कस्बो में रह गए हैं। ये धर्मिक विभिन्नता में रह कर देश की मिट्टी से पैदावार उत्पन्न करते हैं पर धीरे-धीरे अपने पेशा को छोड़ते जा रहे हैं या मौत के गाल में मजबूरन चले जा रहे हैं।

किसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

कर्जे की जिंदगी कर्जे में ही चली जा रही है। मेरे देश की धरती अब सोना नहीं उगलती बल्कि किसानों की जान लेती है। कर्ज किस बात ? खैर, किस सिद्धान्त के तहत व कब कर्ज  दिया गया। अगर इन सब बातों को ध्यान में रख कर कर्ज दिया गया तो वसूली के लिए सही नीति क्यों नहीं बन सका। क्या कर्ज देकर हम औद्योगिक अंधी दौड़ व बाजारीकरण के  चकाचौंध में किसानों को जानबूझ कर मारना चाह रहे हैं,अगर नहीं तो  किसानों को हर तरह की मदद वो बुनियादी सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध कराकर उस ऋण की वसूली की जा सकती। 2008 में यूपीए सरकार ने देश भरके किसानों का कृषि कर्ज माफ किया था। तब किसानों के लगभग साठ हजार करोड़ रुपए माफ किए गए थे जिसका फायदा 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस को मिला था, लेकिन एक सरकारी आंकड़ा यह भी बताता है कि 1995 से 2015 तक पूरे देश में तीन लाख से अधिक किसानों ने अपना जीवन खत्म किया है।

यह भी पढ़ें:  Darbhanga Breaking: NH-27 मब्बी पर 20 फीट गहरी खाई में गिरी DTO की गाड़ी! Darbhanga DTO Office के ESI की मौके पर मौत

किसानों के वादे हैं वादों का क्या…कर्जे की जिंदगी जा रही कर्जे में

फिर से यही स्थिति दुहरा सकती है अगर आगे लिए किसानों के लिये कर्जनीति नहीं सचमुच की विकास नीति बने तो कर्ज में डूब गए हैं जो इशारा करती है कि ऋण माफी सबसे बड़ा उपाय नहीं बल्कि जड़ से खत्म हो सकता है।बिहार के कई जिलों में घोषणा के बाबजूद रबी फसल का बीज उपलब्ध नहीं हो पा रहा जिससे किसान बीज ऊंची कीमत पर बाजार से खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। वस्तुतः ऋण की शुरुआत तो यही से हो जाती है। दरभंगा समेत कई नजदीकी जिलों में बीज नहीं उपलब्ध होने से निजि विक्रेताओं की बल्ले-बल्ले है। हम यही से पूरी तरह क्यों नहीं तैयार रहते। मन की तंद्रा मध्यप्रदेश व राजस्थान के चुनाव परिणाम पर पहुंचने के चलते रुक सा गया व किसानों की दशा की सोच पीछे रह गयी। एक बार फिर से दिल्ली की रफ्तार थम सी गयी है। किसान रैली को लेकर बाकी की लगभग सभी पार्टियां एक मंच पर आ जाती है। पिछले दो सालों में ये चौथी बार है जब किसानों ने दिल्ली का रुख किया।

जरूर पढ़ें

Akasa Air Darbhanga| Darbhanga से Mumbai की सीधी उड़ान शुरू, ₹ किराया जानकर हो जाएंगें हैरान,रोजाना उड़ान

मिथिला का ऐतिहासिक पल: दरभंगा से मुंबई की सीधी उड़ान शुरू, किराया सिर्फ ₹5000!अब...

Muzaffarpur के कटरा-शिवदासपुर में कचरों का होगा उठाव, Solid और liquid Waste Management की बड़ी पहल

मुजफ्फरपुर/कटरा प्रखंड के शिवदासपुर पंचायत में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (Solid & Liquid...

Darbhanga Judge Farewell | सेवानिवृत्त प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद तिवारी को न्याय मंडल ने दी भावभीनी विदाई

दरभंगा न्यायिक सेवा में वर्षों की सेवा देने के बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश...

Sakatpur Firing Case Solved | – 48 घंटे में केस खल्लास, वाह! Darbhanga Police, 4 आरोपी सलाखों के पीछे, ये थी गोली चलने की वजह?

दरभंगा ब्रेकिंग: गोलीकांड के 48 घंटे में पुलिस ने किए सारे आरोपी गिरफ्तार –...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें