आकिल हुसैन मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तकनीकी सलाहकार डॉ. सुनील कुमार चौधरी व अपर समाहर्ता दुर्गानंद झा ने बुधवार को भूकंप रोधी भवन निर्माण पर अभियंताओ के चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उदघाटन दीप प्रज्वलित कर किया। वाटसन विद्यालय के क्रीड़ा सभागार में जिले भर से आए अभियंता को संबोधित करते हुए भूकंप विज्ञान व भूकंप से होने वाले खतरे के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार पानी में पत्थर उछालने से तरंग उत्पन्न होता है, ठीक उसी प्रकार भूकंप आने पर प्लेट के खिसकने से धरती के अंदर तरंगें पैदा होती है। उन्होंने कहा कि भूकंप में मकान नहीं हिलता है, बल्कि धरती हिलती है और जमीन का तल डोलता है, जिसके कारण भवन की नींव व निचले भाग जमीन के साथ चलते हैं। ऐसी स्थिति में भवन के दीवार व पिलर,छत को खींच कर रखता है लेकिन कमजोर भवन की दीवार को झुककर टूटने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि भूकंप में सबसे अधिक प्रभाव दीवार पर ही पड़ता है। उन्होंने बताया कि भूकंप रोधी तकनीक से भूकंप से होने वाली क्षति को काफी कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित अभियंता नए भवनों को भूकंप रोधी तकनीक से बनाएंगे, वहीं पुराने भवनों का अवलोकन कर उन्हें भी भूकंप रोधी बनाएंगे, ताकि आपदा की स्थिति में जान-माल की क्षति को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आपदाओं का न्यूनीकरण करने पर काम कर रहा है। इसके लिए बिहार पूरे देश में सबसे पहले 2015 से 2030 तक का रोड मैप बनाया है।
डॉ. चौधरी ने भूकंप व उससे होने वाली क्षति के साथ साथ भूकंप रोधी तकनीक से भवन निर्माण के संबंध में विस्तार से उपस्थित अभियंता को बताया। उन्होंने बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सपना सुरक्षित बिहार विकसित बिहार को साकार करने के लिए प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री व्यास जी के नेतृत्व में चलाए जा रहे समाजोपयोगी आंदोलन मे अभियंताओं से बढ़-चढ़ कर भाग लेने की अपील की। साथ ही मुख्यमंत्री को नमन करते हुए कहा,है नमन उनको कि जो तकनीक को अमरत्व देकर, भूकंपरोधी प्रशिक्षण की जीवित कहानी हो गए हैं। है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय, आपदा का प्रबंध करके और मानी हो गए हैं। डॉ. चौधरी ने बताया कि ईंट जोड़ाई दीवारों पर आधारित मकान की भूकंप से सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सभी दीवारें साथ-साथ काम करें। कहा कि दरवाजे व खिड़कियों लिंटेल एक ही छत पर हो, दरवाजे खिड़कियों व लटके बालकोनी का आकार सीमित होना चाहिए। अंत में डॉ. चौधरी ने कहा,”हम लोग हैं ऐसे दीवाने, तकनीक बदलकर मानेंगे। मंजिल को पाने निकले हैं,मंजिल को पाकर मानेंगे।