दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। 84 लाख योनियों के बाद जब मानव जीवन प्राप्त होता है तो मानव जीवन की गरिमा को रखते हुए गुरु को जीवन में ग्रहण किया जाता है। गुरु की महत्ता मनुष्य के जीवन में अति आवश्यक है। बिना गुरु के मोक्ष प्राप्त नहीं होती। मनुष्य को अपने जीवन को सही दिशा देने के लिए अपने अंदर की बुराइयों को त्याग कर अच्छाई ग्रहण करना यही संस्कार की प्रक्रिया है। पूर्व जन्मों के कुसंस्कारों को हराकर गुरु व देव के समक्ष सुसंस्कार अपनाने की प्रक्रिया को संस्कार कहा जाता है। यह बात लहेरियासराय के कर्पूरी चौक स्थित मेडिकल ग्राउंड में 51 कुंडी गायत्री महायज्ञ के अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक राजकुमार भृगु ने यज्ञ के तीसरे दिन उपस्थित गायत्री परिवार के सदस्यों को संबोधित करते हुए मंच से कही।
उन्होंने कहा कि जर्मनी के वैज्ञानिकों ने देवता की तलाश की सब जानना चाहते थे कि देवता कहां रहते हैं, तो सभी ने कहा देवता के लिए भारत जाना पड़ेगा, तो उन लोगों ने भारत में आकर भारत के संस्कार, व्यवहार एवं रहन सहन को देखने के बाद या महसूस किया कि वास्तव में भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के अंदर परमात्मा विद्यमान हैं। वहीं समापन से एक रोज पूर्व 51 कुंडी शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन यज्ञ की प्रक्रिया का निर्वहन करते हुए संस्कार की प्रक्रिया संपन्न हुई। जिसमें एक सौ से अधिक लोगों ने दीक्षा ग्रहण किया, तीस व्यक्ति को यज्ञोपवित संस्कार प्रदान किया गया, वहीं दस बच्चों का नामकरण व तेरह गर्भवती महिलाओं का पुंसवन संस्कार, बच्चों का मुंडन संस्कार किया गया।
यह जानकारी देते हुए यज्ञ आयोजन समिति के संतोष कुमार झा, राम पुकार यादव, हनुमान शरण, दिलीप कुमार, बिना मिश्रा,वैद्यनाथ पूर्वे,विन्दु कुमारी ने बताया कि बुधवार की संध्या छह बजे कर्पूरी चौक पर सैकड़ों की संख्या में दीपक जलाकर दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। वहीं, गुरुवार को समापन के अवसर पर पूर्णाहुति के साथ यज्ञ कार्यक्रम का विराम होगा।




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