चंदन पांडेय, दरभंगा देशज टाइम्स ब्यूरो। मिथिला की संस्कृति यहां की धरोहर, विलुप्त हो रही संस्कृति, धार्मिक मान्यताओं के साथ यहां की मूल समस्याओं को आपस में सहमति बनाकर दूर करने के प्रयासों के बीच घरेलू महिलाओं को एक सार्थक मंच देने के लिए गठित सखी-बहिनपा ग्रुप अब मिथिला के उत्थान की अगुवा बन गई है। इस ग्रुप से जुड़ी सोलह हजार से अधिक कामकाजी व घरेलू महिलाओं के समूह ने मिथिलांचल के संपूर्ण विकास को बंटोरे एक ऐसे मंच पर पहुंच चुकी है जहां से घरेलू उद्धोग आकार लेने के साथ व्यवसायिक स्वरूप में सामने है वहीं, आध्यात्मिक चिंतन, मिथिला की लोक परंपरा उसकी अभिव्यक्ति के साथ यहां की महिलाओं को घूंघट से बाहर निकालकर उन्हें दहलीज से बाहर एक ऐसे माहौल का सृजन किया गया है जहां खुली सांसों के बीच महिलाएं अपनी बात बेबाकी तरीके से रखने लगी हैं।
अपनी समस्याओं पर विमर्श करते हुए उसके निदान को विचार करती मिल रही हैं। मधुबनी व दरभंगा में इस ग्रुप की हजारों महिलाएं अब खुले में सार्वजिनकता को स्वीकार करते हुए समस्याओं पर चिंतन करती मिथिला की बोली उसकी जरूरत, अभिव्यक्ति की आजादी को जी रही हैं। इसका जीवंत गवाह बना लनामिवि परिसर स्थित मनोकामना मंदिर परिसर। यहां सखी-बहिनपा ग्रुप की दरभंगा प्रमुख दीपा ठाकुर के नेतृत्व में सामा-चकेवा के बहाने महिलाओं ने अपनी सहभागिता देते हुए मिथिला की विलुप्त होती परंपरा, धर्म व आस्था के बदलते मायनों के बीच लुप्त होती कलाओं को जीवंत रखने का संकल्प लिया। दरभंगा की संयोजिका दीपा झा ने देशज टाइम्स को बताया कि यह ग्रुप हर शहर में सक्रिय है। सखी-बहिनपा से हर वर्ग की महिलाएं जुड़ रही हैं। व्यवसायिक समेत सामाजिक सरोकार का वरण कर रही हैं।
मौके पर मनोकामना मंदिर में मौजूद दर्जनों महिलाओं ने सामा-चकेवा खेलकर विलुप्त होती परंपराओं को जीवंत रखने का संकल्प लिया। दीपा ने बताया कि मैथिली भाषा के उत्थान व उसके विभिन्न पर्वों को जीवंत रखने के साथ ही यहां की परंपराओं को फिर से एक मंच के माध्यम से स्थायित्व देना ही सखी-बहिनपा का मूल मकसद है। मौके पर आरती झा, कुमकुम ठाकुर, ममता झा, अर्पणा झा, गीता मिश्रा समेत दर्जनों महिलाओं ने मिथिला व मैथिली के उत्थान के लिए नव गीत बनकर कार्य करने की शपथ दोहराते हुए कहा कि पूरे देश में इसे विस्तारित किया जा रहा है। जल्द ही फेसबुक व व्हाटएप के माध्यम से हम मिथिला के उत्थान की नव गाथा लिखेंगे। एक सार्थक मंच समाज को मुहैया कराएंगे खासकर महिलाओं के लिए जो आज तक अपनी आवाज घर के दहलीज से बाहर नहीं उठा पाई हैं। महिलाओं के हक-हकूक के लिए सखी-बहिनपा एक सार्थक प्लेटफार्म साबित होगा।
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