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आकिल हुसैन मधुबनी देशज टाइम्स । पापी पेट भी क्या चीज है। जो उम्र हाथों में कलम पकड़ने की है। उस उम्र में एक मासुम बच्ची अपने पुरे परिवार का पेट भरने के लिए अपनी जान हथैली पर रखकर पत्ली रस्सी पर नाचती हुई लागों से पैसा मांगती मधुबनी की सड़कों पर नजर आयी।
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बच्ची ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताती है, अगर पतली रस्सी पर नहीं नाचूंगी तो अपने गरीब परिवार का पालन पोषन कैसे करूंगी। लोगों को पतली रस्सी पर नाचकर उनका मन बहलाती हूं और अपने परिवार का पालन पोषन करती हूं। मासूम सड़कों पर नाचती रही और लोग पैसे देते रहे।
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इसे ही कहते हैं जिंदगी जिना है तो जहर पिना ही पड़ेगा। मासूम बच्ची अपने खेलने की जिन्दगी को परिवार के दो जून की रोटी मुहैया कराने के लिए बचपन का जहर पिकर सड़कों पर नाचती रही।

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