दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। आधुनिकता के इस दौर में महिलाओं के लिए सिलाई-कटाई वरदान साबित हो सकता है। यह ऐसी कला है जिसके जरिए महिलाएं अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आसानी से घर बैठे पैसे कमा सकती है। यह बात स्वयंसेवी संस्था डॉ.. प्रभात दास फाउंडेशन की ओर से वार्ड बाइस स्थित इमलीघाट में निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण शिविर के समापन के दौरान प्रमाण-पत्र वितरण करते हुए समाजसेविका सुनिता सिन्हा ने कही। उन्होंने महिलाओं को सशक्तीकरण का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। समापन कार्यक्रम में अनिस सिद्दीकी ने कहा कि सिलाई-कटाई ऐसी कला है, जिसमें चार-पांच रूपए के धागा से प्रतिदिन कम से कम दो से तीन सौ तक की कमाई की जा सकती है। आज के दौर में भले ही किसी को नौकरी ना मिलें, लेकिन स्वरोजगार के दरवाजे हर किसी के लिए खुले हैं। सिलाई-कटाई विधा कम पढ़ी-लिखी महिलाओं के लिए भी सशक्त बनाने का सबसे आसान तरीका है।
बेहतरीन डिजाइनिंग के साथ फैशन की शानदार कटिंग की मिली तालीम
शिक्षिका सुशीला देवी ने बताया कि साठ दिवसीय इस निःशुल्क शिविर में महिलाओं को हुनरमंद बनाने के प्रयास से 38 महिलाओं को सिलाई-कटाई का सफल प्रशिक्षण दिया गया। शिविर में पेपर कटिंग के जरिए ब्लाउज, कुर्ता, कमीज, सूट-सलवार के अलावे बाबा सूट, बेबी फ्रॉक, लैगिज की सिलाई-कटाई व बेहतर डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का संचालन फाउंडेशन के अनिल कुमार सिंह ने किया। वहीं, फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने देशज टाइम्स को बताया कि डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन का उद्देश्य कम-पढ़ी लिखी महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ना है। उन्होंने उपस्थित छात्राओं को फाउंडेशन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। कार्यक्रम में रेखा देवी, रिना देवी, अनुराधा देवी, प्रियंका देवी, पूनम देवी, सलोनी राज, सुधा कुमारी, दीपा कुमारी, प्रीति कुमारी, राजनंदनी कुमारी, डाली कुमारी, पूजा कुमारी समेत दर्जनों की संख्या में मोहल्ले के लोग उपस्थित थे।