दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित परीक्षा परिषद में मूलतः चार प्रस्ताव लाए गए थे। इन सभी पर फैसला किया गया। महत्वपूर्ण यह रहा कि अध्यक्ष की अनुमति से आचार्य प्रथम सेमेस्टर सत्र 2018-20 व तृतीय सेमेस्टर सत्र 2017-19 के परीक्षावेदन करने यानी फॉर्म भरने की तिथि विस्तारित कर दी गई है। अब छात्र पहली दिसंबर तक निर्दण्ड फॉर्म भर सकते हैं। पहले यह सुविधा 28 नवंबर तक ही दी गई थी। इसी तरह नई व्यवस्था के अनुसार दो व तीन दिसंबर तक विशेष दंड के साथ भी फॉर्म भरा जा सकता है। अध्यक्ष प्रो. सिंह ने कहा कि छात्रों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है।यह जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने देशज टाइम्स को बताया कि परीक्षा परिषद ने आयुर्वेद के छात्रों की मुश्किलों को काफी हद तक हल कर दिया है। आयुर्वेद की चारों व्यावसायिक परीक्षा का परिणाम अब जल्द ही प्रकाशित करा दिया जाएगा।
परिषद ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। इन परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन प्रधान परीक्षकों की ओर से किया गया और उसी आलोक में रिजल्ट निकलने का निर्णय लिया गया। वहीं, आयुर्वेद पीजी सत्र 2013-14, 2014-15 व 2015-16 की विलंबित परीक्षा लेने पर भी परिषद में विचार किया गया। इसके लिए आगे की कार्यवाही के लिए आयुर्वेद संकायाध्यक्ष सह प्रधानाचार्य डॉ. प्रजापति त्रिपाठी को पूरी विवरणी तैयार करने को कहा गया। इसी तरह 2008 के उपशास्त्री छात्रों का 2011 के गणन पणजी में दोबारा नाम आ जाने की जांच के लिए बनी कमेटी के प्रतिवेदन के आधार पर परीक्षा परिणाम निकालने का निर्णय लिया गया। साथ ही आम सहमति रही कि उक्त दोनों बर्षों की टीआर पंजी परिषद की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाए। आज की बैठक में प्रोवीसी, प्रो. शिवाकांत झा, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, प्रो. शक्तिनाथ झा,डॉ. प्रजापति त्रिपाठी, डॉ. ब्रजेश पाठक, परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनय कुमार मिश्र मुख्य रूप से उपस्थित थे। कार्यालय की ओर से गोपाल उपाध्याय व धीरेंद्र मणि ने सहयोग किया।