यह तस्वीर हम कतई दिखाना नहीं चाहते लेकिन यह उस सरकार के लिए है जो देखे ऐसी आग की धधक एक बाप के कलेजे को कैसे भेद रही होगी, सरकार समझे ये कैसी आग लगी है उस परिवार हर एक के दिलों में जो कभी नहीं बुझेगी। यह वह आग है जिसकी गर्मी में सदा के लिए सोनी का परिवार उसकी यादों में पिघलता रहेगा रात-दिन, अनवरत, अनंत समय तक जो अब कभी लौटके नहीं आएगी इस समाज की बेटी
दरभंगा/मधुबनी देशज टाइम्स टीम। कमतौल पुलिस की वाहन से कुचली गई सोनी अब इस दुनिया में नहीं रही। मैट्रिक की टॉपर, सरकार से पुरस्कृत एक होनहार लड़की उसी सरकारी अधिकारी के हाथों सदा के लिए जीवन से हार गई। कैसी विडंबना है, कैसी व्यवस्था है और कैसी सरकार के कैसे मुलाजिम हैं जो अपनी छवि ऐसे समाज के सामने क्रूर हो उठ रहे हैं जो सदा से शांतिप्रिय रहा है। अमूमनन दरभंगा शांतिप्रिय शहर माना जाता है लेकिन बदतर होते हालात यहां की कानून-व्यवस्था इसे शांत रहने देने के लिए कतई तैयार नहीं और ऐसी ही कुव्यवस्था की शिकार होकर हमारे समाज की एक होनहार बेटी सोनी सदा के लिए हमसे बिछुड़ गई। स्तब्ध करती इस घटना ने पूरे समाज के लोगों को जगा दिया है कि आखिर हमारे अफसरों के चेहरे कैसे विभित्स हो रहे। इधर, गुरुवार की रात सोनी का शव एंबुलेंस से पटना से रघौली गांव पहुंचते ही पूरा गांव गमगीन हो उठा। नम आंखों के बीच शुक्रवार को गांव स्थित शमशान में अंतिम संस्कार किया गया।
सोनी ने पिछले साह ही प्रथम श्रेणी से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए अपने स्कूल की टॉपर बनी थी। सरकार ने उसे दस हजार का ईनाम देकर पुरस्कृत भी किया था मगर इसका हुआ क्या उसी सरकारी कुव्यवस्था के हाथों उसके प्राण चले गए। दो भाइयों में एकलौती सबकी चहेती सोनी के बड़े भाई बीस वर्षीय रोशन व छोटा पंद्रह वर्षीय राकेश मां रानी देवी के साथ आज रो-रोकर बेचैन बना है। गांव में रहकर पढ़ने का जज्बा लिए सोनी अपने उस बाप का सपना पूरा करना चाहती थी जिसके पिता कन्हाई ठाकुर दिल्ली में मजदूरी कर अपनी बेटी को उसी सरकार का बड़ा अफसर बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन अब भाई की सूनी कलाई राखी में अपनी बहन को खोजेगी तो माता-पिता के सपने उस आग में जलकर राख हो गए जहां परिवार अपनी बेटी को डोली में बैठाने उसके लिए बेहतर जीवन का वह सब कुछ सहेज रहे थे जहां एक बेटी आज समाज का नाम रोशन कर रही है। पूरा समाज आज यह कहते अपनी पीड़ा नहीं छुपा पा रहा कि सोनी की मेधा शक्ति जिस कदर आगे आग रही थी निश्चित वह अपनी मेधा शक्ति व मेधावी जीवन को आगे बढ़ाते एक दिन देश की सेवा करती। मगर, सरकारी पहिया में दबकर सदा के लिए सो गई एक मेधावी छात्र।
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