आकिल हुसैन मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। एक तरफ जहां राज्य सरकार सूबे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के दावे करती है वहीं सरकारी अस्पताल की बदहाली व चिकित्सकों की लापरवाही समय-समय पर सरकार के झूठे दावों की पोल खोल देती है। मधुबनी जिले के हरलाखी प्रखंड मुख्यालय उमगांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अस्पताल की बदहाली का मामला प्रायः प्रकाश में बना रहता है। दरअसल अस्पताल का बेड आवारा कुत्तों का आरामगाह बन चुका है। शुक्रवार को दो आवारा कुत्ते एक साथ इमरजेंसी वार्ड में मरीज के बेड पर आराम करते नजर आए। यह नजारा दिन के करीब दो बजे का है। दवा वितरण केंद्र पर कोई कर्मी मौजूद नहीं था। इमरजेंसी वार्ड में भी कोई नहीं था। वहीं चिकित्सक प्रकोष्ठ व चिकित्सा प्रभारी का प्रकोष्ठ भी वीरान पड़ा था, लेकिन अस्पताल के बाहर कुछ कर्मी एक जगह एकत्रित होकर एकदूसरे से गुफ्तगू कर रहे थे।
हालांकि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अस्पताल का यह मामला अखबारों की सुर्खियां बनती रही है। इतना ही नहीं एक बार तो हरलाखी के मधुबनी टोला की एक महिला जिसको आपसी विवाद में आरोपी ने कुल्हाड़ी से प्रहार कर सिर फोड़ दिया था उस गंभीर रूप से घायल मरीज का इलाज पीएचसी प्रभारी का खाना बनाने वाला एक रसोइया कर रहा था। उसने घायल महिला को सुई भी लगाई। जो इलाज करते हुए कैमरे में भी कैद हुए और उसकी खबर प्रकाशित होने के बावजूद लापरवाह अस्पताल प्रशासन की नींद नहीं खुली।
बहरहाल इनदिनों अस्पताल के बेड पर मरीज के बजाय आवारा कुत्ते सोते सरेआम दिख जाते हैं। हालांकि इससे अस्पताल प्रशासन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। जिससे अस्पताल प्रशासन की मनमानी व अनदेखी हमेशा की तरह बरकार है। शिकायत करने पर अस्पताल प्रशासन अपनी धौंस भी दिखाते हैं। स्थानीय रंजीत कुमार, संतोष कुमार, मो. शद्दाम, दीपक कुमार बैठा व प्रदीप कुमार समेत कई मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में गरीबों का इलाज भगवान भरोसे ही होता है। दवा काउंटर पर कुछ मामूली दवा देकर मरीजों को बाहर के एक निजी दुकान से दवा खरीदने के सलाह दी जाती है।
जिससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सुधार के जो भी दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस बाबत सीएस हरिकिशोर सिंह ने बताया कि जब वहां कोई कर्मी नहीं था तो मरीज के परिजन या आस पास के लोग भी तो कुत्ते को भगा सकते हैं।




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