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2 दिसम्बर, 2025

आदिपुरुष पर इलाहाबाद HC की कड़ी फटकार, कहा, आप कभी कुरान पर डॉक्यूमेंट्री बनाकर देखो, पता चल जाएगा…

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रामायण पर बनी मूवी आदिपुरुष में देवी-देवताओं के अमर्यादित चित्रण पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। कोर्ट ने फिल्म को मंजूरी देने वाले सेंसर बोर्ड के सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा, वह लोग धन्य हैं, जिन्होंने फिल्म देखकर उसे सर्टिफिकेट जारी किया। अदालत ने कहा कि इस फिल्म से देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, अदालत इस बात को स्वीकार करती है।

16 जून से सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरूष पर बवाल का दौर जारी है वहीं पर फिल्म को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच मेकर्स पर फटकार लगा रही है। कोर्ट ने कहा कि, आप लोग धार्मिक ग्रंथों को बख्श दीजिए, मत करिए छेड़छाड़।

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यहां पर फिल्म पर बैन लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए  जस्टिस राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह की खंड पीठ ने कहा, आप लोगों को कुरान, बाइबल को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए. मैं ये क्लियर कर दूं कि किसी भी धर्म को मत टच कीजिए। किसी भी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाइए। कोर्ट का कोई धर्म नहीं है। हमारी चिंता केवल ये है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनी रहनी चाहिए।

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आदिपुरुष मूवी को बैन करने की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म में सनातन धर्म के अपमान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘यह लगातार हो रहा है। कुछ न कुछ लगातार ऐसा किया जा रहा है, जिससे सामाजिक सामंजस्य खराब हो। अब अति हो चुकी है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर को कोर्ट में पेश होना ही होगा। यह कोई मजाक की बात नहीं है।

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‘आदिपुरुष’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘मान लीजिए, कुरान पर एक छोटी डॉक्यूमेंट्री बनाई जाती। क्या आप सोच सकते हैं कि उससे किस प्रकार कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती? लेकिन हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण ही चीजें फिल्मकारों की भयंकर भूलों के बाद भी विद्रूप रूप नहीं लेती हैं।’
अदालत ने कहा कि रामायण, कुरान या बाइबिल पर विवादित फिल्में बनाई ही क्यों जाती हैं, जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
पीठ ने कहा कि एक फिल्म में भगवान शंकर को त्रिशूल लेकर दौड़ते हुए दिखाया गया है। अब भगवान राम और रामायण के अन्य पात्रों को बड़े शर्मनाक ढंग से दिखाया गया है। क्या यह नहीं रूकना चाहिए?
अदालत ने फिल्म को मंजूरी देने वाले सेंसर बोर्ड के सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा, वह लोग धन्य हैं, जिन्होंने फिल्म देखकर उसे सर्टिफिकेट जारी किया।

इलाहाबाद HC ने कहा, रामायण के ऐसे तमाम किरदार है, जिनकी पूजा की जाती है। उनको फ़िल्म में किस तरह से दिखाया गया है, यह साफ दिख रहा है। यह फ़िल्म 16 जून को रिलीज़ हुई थी। तब से लोग लगातार आपत्ति जता रहे हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ तो अब तीन दिन में क्या होगा। फिर भी हम छुट्टी में इस मुद्दे को सुन रहे हैं।

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इलाहाबाद HC के जज ने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों से इस फिल्म के बारे में पूछा था। उन लोगों ने कहा कि वह इस फिल्म से आहत हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो फूहड़ फिल्मांकन की वजह से फिल्म पूरी नहीं देख पाए। जो लोग भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी को आराध्य मानते हैं, वे इस फिल्म को देख ही नहीं पाएंगे।

हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड के सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा, ‘वह लोग धन्य हैं, जिन्होंने यह मूवी देखकर इसे सर्टिफिकेट जारी किया। जिस फिल्म में रामायण के बारे में इस तरह अभद्र दिखाया गया, उसे भी सर्टिफाइड कर दिया गया। कोर्ट में पेश याचिका के इस आरोप कि इस मूवी से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, हम भी उससे सहमत हैं।

खंडपीठ ने कहा, ‘आज हम चुप हो जाएंगे तो जानते हैं क्या होगा। यह सब जो बढ़ रहा है, कल को और भी वल्गर रूप में हमारे सामने आएगा। कोर्ट ने फिल्म मेकर्स को चुनौती देते हुए कहा कि आप कुरान पर कोई छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाकर दिखाइए। कुछ ही देर में आपको लॉ एंड ऑर्डर की कंडीशन समझ में आ जाएगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एक फ़िल्म (PK) में देखा कि भगवान शंकर त्रिशूल लेकर भाग रहे है। मूवी में उनका मजाक बनाया गया। क्या अब फिल्मों के नाम पर यही सब होगा? अदालत ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह आदिपुरुष फिल्म के प्रोड्यूसर और डायलॉग राइटर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश भी जारी कर सकती है।

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