सरकार ने उनकी अर्जी स्वीकार कर ली है। सोमवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन पंद्रह दिनों के लिए मंडल कारा सहरसा से बाहर आएंगे। शिवहर के पूर्व सांसद आनंद मोहन लंबे समय से सलाखों के पीछे हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन को 5 दिसंबर 1994 में डीएम कृष्णैया हत्याकांड में फांसी की सजा हुई थी।
इसके बाद उन्हें बेटी की फ़रवरी में होनेवाली शादी में शामिल होने के 15 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आने की अनुमति मिली थी। इसी कड़ी में एक बार फिर वे जेल से बाहर आ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में 4 दिसंबर 1994 को आनंद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इससे अगले दिन 5 दिसंबर को आक्रोशित लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ सड़क पर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान मुजफ्फरपुर के रास्ते पटना से गोपालगंज जा रहे डीएम जी कृष्णैया पर भीड़ ने मुजफ्फरपुर के खबड़ा गांव में हमला कर दिया था।
आरोप था कि भीड़ का फायदा उठाकर किसी ने डीएम की कनपटी में एक गोली भी मार दी थी। मॉब लिंचिंग में डीएम कृष्णैया की हत्या ने प्रशासनिक और सियासी हलके में उस वक्त तूफान ला दिया था। तब कृष्णैया सिर्फ 35 साल के थे। इसी मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन सहरसा के मंडल कारा में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।