समस्तीपुर नगर निगम क्षेत्र के 47 वार्ड के एक लाख 78 हजार 438 मतदाताओं ने अपना फैसला सुना दिया है। 94 हजार 826 पुरुष और 83 हजार 932 महिलाओं ने साबित कर दिया है कि दलगत और जातिगत से कहीं ऊपर के हुए चुनाव में विकास और उम्मीदवारों की छवि हावी रहेगी। इसका परिणाम भी आज दिख गया।
समस्तीपुर नगर निगम क्षेत्र से मेयर पद पर पंद्रह प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सबसे कम उम्र की प्रत्याशी काजल कुमारी थीं। वहीं सबसे चर्चित चेहरा बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी की पत्नी संध्या हजारी थीं। वहीं, कांग्रेस की नेता अनिता राम के अलावे बीजेपी के कृष्ण बालक की पत्नी कविता कुमारी भी चुनाव मैदान में थी मगर जीत का सेहरा कांग्रेस के सिर सजा है। पढ़िए पूरी खबर
समस्तीपुर के महापौर के पद के लिए अनिता राम यानी नगर परिषद की पूर्व चेयरमैन (26016) ने अनिता देवी (14455) को 11561 मत से हराया वहीं तीसरे स्थान पर बिहार विधान सभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी की पत्नी संध्या हजारी (13375) रही।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राम बालक पासवान (17279) उप महापौर पद के लिए सूजय कुमार (8669) को हराया, तीसरे स्थान पर मनोज पासवान (8656) रहे। लालू प्रसाद के मंत्रिमंडल में रहे पशुपालन मंत्री रामश्रय साहनी ने वार्ड पार्षद के रूप में विजय हासिल की है। स्मरण रहे कि वर्षो तक वो जिला राजद के जिलाध्यक्ष भी रहे थे। सिंघिया नगर पंचायत के लिए मुख्य पार्षद मिंकू कुमारी एवं उप मुख्य पार्षद खुशबु देवी निर्वाचित हुई।
महेश्वर हजारी ने अपनी पत्नी के लिए खुद घर-घर जाकर लोगों से वोट मांगे थे। बीते कई दिनों से समस्तीपुर में ही वह कैंप कर मतदाता को रिझा रहे थे। पत्नी को मेयर बनाकर महेश्वर हजारी आगामी लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर सीट से अपनी दावेदारी सरल बना सकते थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
वहीं कांग्रेस की नेता और पूर्व नगर परिषद की सभापति रह चुकीं अनीता राम भी जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी थीं। अनिता राम का भी पारिवारिक इतिहास राजनीतिक रहा है। जिले की चर्चित नेता के रूप में उन्हें लोग जानते हैं। बीजेपी के कई नेताओं को भी अनिता राम के चुनाव प्रचार में वोट मांगते देखा गया है। पर्दे की पीछे से कई बीजेपी नेता प्रचार कर रहे हैं।
बीजेपी नेता कृष्ण बालक की पत्नी कविता कुमारी भी चुनाव मैदान में थी। हालांकि पार्टी खुलकर उनके समर्थन में प्रचार नहीं कर रही थी। कविता कुमारी की सास समस्तीपुर प्रखंड प्रमुख रह चुकी हैं, जबकि सुनीता देवी के चुनाव प्रचार में युवाओं का हुजूम दिखाा था मगर पर्दे के पीछे से जिले के कई चर्चित चेहरे सुनीता देवी के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए थे, इससे हवा बन ना सकी।