ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board- AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी (Syed Mohammad Rabe Hasani Nadvi ) का निधन आज यानी गुरुवार को हो गया है।
AIMPLB के अध्यक्ष हजरत मौलाना राबे हसनी नदवी का गुरुवार को देहांत हो गया।उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में यूपी के लखनऊ (Lucknow) के डालीगंज में स्थित नदवा मदरसे में आखिरी सांस ली।
मोहम्मद राबे हसनी नदवी सुन्नी इस्लामिक विद्वान थे। नदवी ने रायबरेली में अपने परिवार मकतब से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में शामिल हो गए।
वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य आलमी रबिता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसए) के उपाध्यक्ष थे। उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट में नियमित रूप से शामिल किया जाता रहा।
वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। ऐसी जानकारी मिली है कि उन्हें निमोनिया और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत थी। उन्हें रायबरेली से इलाज के लिए लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने 93 वर्ष उम्र में डालीगंज स्थित नदवा मदरसे में आखिरी सांस ली।
मौलाना राबे हसनी नदवी बड़े भारतीय इस्लामिक विद्वान थे। वो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ साथ लखनऊ स्थित- धार्मिक शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केंद्र- नदवतुल उलेमा के भी अध्यक्ष थे।
वे मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य आलमी रबिता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसए) के उपाध्यक्ष भी थे। उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों के सूची में भी जगह मिली थी।
अरबी भाषा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 1993 में उन्हें दारुल उलूम नदवतुल उलेमा का मुहतमिम (वाइस चांसलर) नियुक्त किया गया।1999 में उन्हें नदवा का चांसलर नियुक्त किया गया था।
जून 2002 में हैदराबाद में हजरत मौलाना काजी मुजाहिदुल इस्लाम कासमी (रहमतुल्लाह अली) की मृत्यु के बाद उन्हें सर्वसम्मति से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था।
नदवी 1952 में नदवतुल उलमा, लखनऊ में सहायक प्रोफेसर, 1955 में इसके अरबी विभाग के प्रमुख और 1970 में अरबी संकाय के डीन बने थे। अरबी भाषा और साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय परिषद उत्तर प्रदेश से एक पुरस्कार और एक राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था।
उन्हें 2002 में मुजाहिदुल इस्लाम कासमी के निधन के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था। उन्होंने अरबी में 15 और उर्दू में 12 पुस्तकें प्रकाशित की हैं. वह विभिन्न संगठनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे।