नवादा के काशीचक प्रखंड के महरथ गांव में दो पोखरों की खोदाई में अनियमितता की जांच नहीं होने पर पूर्व के डीएम उदिता सिंह व यशपाल मीणा के खिलाफ पटना हाइकोर्ट में दायर अवमानना वाद के कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट में फंसे डीएम को दो सप्ताह की मोहलत मिली है।
जानकारी के अनुसार, नवादा डीएम पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट (न्यायालय के आदेश की अवमानना) में फंस गए हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई के पूर्व दो सप्ताह में पूर्व में पारित आदेश का अनुपालन कराने का मोहलत दे दिया है।
जानकारी के अनुसार नवादा जिले के काशीचक प्रखंड के महरथ गांव में दो पोखरों की खोदाई में अनियमितता की जांच नहीं होने पर जुलाई 2022 में अवमानना वाद दायर किया गया था।
तालाब खोदाई में अनियमितता की जांच का आदेश पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया था। जांच के लिए निश्चित समय सीमा तय की गई थी। निर्धारित अवधि में जांच नहीं किए जाने के बाद अवमानना वाद दायर किया गया था। इसमें तब के डीएम उदिता सिंह और पूर्व के डीएम यशपाल मीणा को पक्षकार बनाया गया था।
तालाब खोदाई में अनियमितता को लेकर महरथ ग्रामीण जितेंद्र कुमार सिंह और देव शरण प्रसाद द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका सीडब्लूजेसी 1139/22 पर सुनवाई के बाद 4 फरवरी को तब के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच द्वारा जांच का आदेश पारित किया गया था।
डीएम पटना उच्च न्यायालय के एक आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट (न्यायालय के आदेश की अवमानना) में फंस गए हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई के पूर्व दो सप्ताह में पूर्व में पारित आदेश का अनुपालन कराने का।मोहलत दिया है।
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि तालाब खोदाई में अनियमितता बरती गई है। शिकायतों के बावजूद शासन-प्रशासन स्तर से जांच व कार्रवाई नहीं की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश एस कुमार द्वारा 4 फरवरी को जांच का आदेश पारित किया गया था। जांच के दायरे में सिर्फ महरथ ही नहीं, बल्कि अन्य पोखर तालाब भी था। पढ़िए पूरी खबर
जांच में याचिकाकर्ता के साथ उनके तकनीकी सहयोगी व कानूनी सलाहकार को भी शामिल होना था। जल जीवन हरियाली योजना से स्वीकृत था काम जल जीवन हरियाली योजना के तहत महरथ गांव के पोखर की खोदाई के लिए निविदा हुई थी। लघु जल संसाधन विभाग के माध्यम से निविदा हुई थी।
विध्या सिक्योरिटी सर्विसेज एंड कंस्ट्रकशन को काम आवंटित हुआ था। योजना की राशि 2 करोड़ 55 लाख 14 हजार 385 रुपये कार्यस्थल पर लगाये गए बोर्ड पर अंकित था। गांव के जितेंद्र कुमार सिंह ने योजना के कार्यान्वयन में भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायत जिला से लेकर अन्य उच्च संबंधित पदाधिकारियों से की थी। जांच व कार्रवाई नहीं हुई तब उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
जिले के काशीचक प्रखंड के महरथ गांव में दो पोखरों की खोदाई में अनियमितता की जांच नहीं होने पर जुलाई 2022 में अवमानना वाद दायर किया गया था। तालाब खोदाई में अनियमितता की जांच का आदेश पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया था।
जांच के लिए निश्चित समय सीमा तय की गई थी। निर्धारित अवधि में जांच नहीं किए जाने के वाद अवमानना वाद दायर किया गया था जिसमें तब के डीएम उदिता सिंह और पूर्व के डीएम यशपाल मीणा को पक्षकार बनाया गया था।
तालाब खोदाई में अनियमितता को लेकर महरथ ग्रामीण जितेंद्र कुमार सिंह और देव शरण प्रसाद द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका सीडब्लूजेसी 1139/22 पर सुनवाई के बाद 4 फरवरी को तब के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच द्वारा जांच का आदेश पारित किया गया था।
याचिका कर्ता की शिकायत थी कि तालाब खोदाई में अनियमितता बरती गई है। शिकायतों के बावजूद शासन-प्रशासन स्तर से जांच व कार्रवाई नहीं की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश एस कुमार की ओर से 4 फरवरी को जांच का आदेश पारित किया गया था। जांच के दायरे में सिर्फ महरथ ही नहीं, बल्कि अन्य पोखर तालाब भी था। जांच में याचिकाकर्ता के साथ उनके तकनीकी सहयोगी व कानूनी सलाहकार को भी शामिल होना था।
जल जीवन हरियाली योजना के तहत महरथ गांव के पोखर की खोदाई के लिए निविदा हुई थी। लघु जल संसाधन विभाग के माध्यम से निविदा हुई थी। विध्या सिक्योरिटी सर्विसेज एंड कंस्ट्रकशन को काम आवंटित हुआ था। योजना की राशि 2 करोड़ 55 लाख 14 हजार 385 रुपये कार्यस्थल पर लगाये गए बोर्ड पर अंकित था।
गांव के जितेंद्र कुमार सिंह ने योजना के कार्यान्वयन में भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायत जिला से लेकर अन्य उच्च संबंधित पदाधिकारियों से की थी। जांच व कार्रवाई नहीं हुई तब उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट की ओर से पारित आदेश की प्रति याचिकाकर्ता जितेंद्र कुमार सिंह ने ई मेल, रजिस्टर्ड डाक और उनके कार्यालय के डाक सेक्सन के माध्यम से डीएम को 11 फरवरी 22 को उपलब्ध करा दिया था। सूचना देने के 4 माह के अंदर आदेश पर अमल होना था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। तब 7 जुलाई 22 को हाईकोर्ट में पुनः याचिका दायर की गई।