14 दिसंबर को भागलपुर में बड़ा रेल हादसा होते-होते टल गया था, जब भागलपुर-किउल रेलखंड के सुल्तानगंज स्टेशन के पास मालदा-किउल इंटरसिटी एक्सप्रेस की कपलिंग खुल गई थी जिससे ट्रेन दो हिस्सों में बंट गई थी।
इसके ठीक अगले दिन यानी 15 दिसंबर को गोरखपुर नरकटियागंज रेलखंड के पनियहवा स्टेशन के पनियहवां पुलिस पिकेट के सामने रेलवे विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई थी जब यहां रेल ट्रैक टूटा पड़ा था और विभाग को खबर तक नहीं थी। इससे होकर सवारी गाड़ियां गुजरती रहीं। टूटे ट्रैक से कितनी ट्रेनें गुजरीं इसका अनुमान तक विभाग को नहीं है। यह मामला पंद्रह दिसंबर का है।
ठीक इसके तीन दिन बाद यानी रविवार को नालंदा में टूटी हुई रेलवे पटरी से कई मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें गुजर गई। यहां भी गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। रेलवे पटरी के टूटे होने की जानकारी मिलते ही रेलवे के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में इंजीनियरों और अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची और पटरी को ठीक किया गया। घटना राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के चैनपुरा रेलवे क्रॉसिंग के पास की है।
रविवार को जब ग्रामीणों की नजर टूटी हुए रेलवे लाइन पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए। आनन-फानन में ग्रामीणों ने इस बात की जानकारी चैनपुरा रेलवे क्रॉसिंग के गेटमैन को दी। हालांकि तबतक कई ट्रेनें टूटी हुई पटरी से गुजर चुकी थीं। गेटमैन ने घटना की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दिए जाने के बाद मौके पर पहुंची मकेनिकल टीम ने पटरी की मरम्मत की और ग्रामीणों की सजगता के कारण आज एक बड़ा रेल हादसा होने से बाल-बाल बच गया।
ग्रामीणों के अनुसार, उधर से गुजरते कुछ लोगों की नजर टूटी हुई पटरी पर पड़ी तो निकटवर्ती गेटमैन को इसकी सूचना दी गई। रविवार के कारण लोकल ट्रेनों और कई मालगाड़ियों का परिचालन भी बंद था, वरना इस टूट से बना गैप एक्सप्रेस ट्रेन का बड़ा हादसा करा सकता था।
रेलवे अधिकारी सुधांशु कुमार निराला ने बताया कि गेटमैन के सूचना के बाद तकनीकी टीम ने स्थल पर पहुंचकर पटरियों को प्लेट से जोड़ दिया। इसे जोड़ने के बाद नियंत्रित गति से दूसरी ट्रेन को इस जुड़े ट्रैक से निकालकर देखा गया और सब ठीक होने के बाद मरम्मत करने वाली टीम लौटी। इस दौरान कोई भी ट्रेन लेट नहीं हुई है।



