सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज हो गई है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के तहत चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया को वैध ठहराया है।
जानकारी के अनुसार,जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के तहत चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज हो गई है। कोर्ट ने परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया को वैध ठहराया है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। बैंच ने कहा कि केन्द्र सरकार को डिलीमिटेशन कमीशन बनाने का अधिकार है। इस मामले में केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग किया है। पढ़िए पूरी खबर
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। बैंच ने कहा कि केन्द्र सरकार को डिलीमिटेशन कमीशन बनाने का अधिकार है। इस मामले में केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग किया है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की 25 अप्रैल को सौंपी गई फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक, परिसीमन के जरिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 83 सीट अब 90 हो जाएंगी। वहीं, पांच नई प्रस्तावित लोकसभा सीटें बनाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया सही है या नहीं?
एक दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव के खिलाफ दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने परिसीमन के खिलाफ याचिका का विरोध करते हुए कहा कि परिसीमन खत्म हो चुका है और गजट मे नोटिफाई भी हो चुका है। दो साल बाद इस तरह याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। ऐसे में अब अदालत कोई आदेश जारी ना करे और याचिका को खारिज करे।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने क़ानून के प्रावधानों को चुनौती नहीं दी है। याचिकाकर्ता ने संवैधानिक चुनौती भी नहीं दी है। पहले भी संवैधानिक रूप से तय विधानसभा सीटों की संख्या को पुनर्गठन अधिनियमों के तहत पुनर्गठित किया गया था। वर्ष 1995 के बाद कोई परिसीमन नहीं किया गया। जम्मू कश्मीर में 2019 से पहले परिसीमन अधिनियम लागू नहीं था।