जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्य योजना बनाई गई है। इस सर्वे से सड़क पर रहने वाले बच्चों को कई फायदे मिलने वाले हैं। सबसे पहले तो उन्हें बुनियादी सुविधा मिल जाएगी। सड़क पर अपना जीवन यापन करने वाले बच्चों को भी रहने के लिए घर जैसी सुविधा मिलेगी।
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे और उनके परिवार के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार ने पॉलिसी बनायी है। इसके तहत राज्य और केन्द्र की सभी कल्याणकारी योजनाओं से स्ट्रीट चिल्ड्रेन और उनके परिवार को जोड़ा जाएगा।
समेकित बाल संरक्षण कार्यक्रम के तहत इन बच्चों को पुनर्वासित ही नहीं उनके पढ़ने-लिखने का भी इंतजाम होगा। इसके लिए सरकार फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों और उनके परिवारों का सर्वे कराएगी। जिला और प्रखंड स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में सर्वेक्षण टीम का गठन होगा।
सरकार की ओर से राज्य के हर जिले में यह सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए समाज कल्याण विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। इस पूरे मामले में सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा है कि हम फुटपाथी बच्चों के पुनर्वास के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे है। इसके लिए समेकित योजना बनायी गयी है और उसपर हमने काम भी शुरु कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में राज्य सरकार ने बड़ी योजना तैयार की है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण की ओर से योजना तैयार कर ली गई है। इस योजना में उन बच्चों को शामिल किया गया है, जो सड़कों पर बिना किसी सुरक्षा के रहते हैं।
इस योजना में सड़कों पर रहने वाले तीन तरह के बच्चे है। पहले वह है, जो बिना किसी सहायता के सड़क पर अपना जीवन बिताते है। दूसरे वह है, जो दिन पर सड़क पर रहते है और रात में अपने परिवार के साथ रहते है। वहीं, तीसरे वह बच्चे है, जो अपने माता-पिता के साथ सड़कों पर रहते है।