नई दिल्ली: दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की कंपनी टेस्ला का भारत में धमाकेदार एंट्री का सपना अभी तक अधूरा है। जिस रफ्तार से टेस्ला ने वैश्विक बाजार में धूम मचाई, भारतीय लग्जरी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में उसकी शुरुआत अपेक्षा से कहीं धीमी रही है। क्या टेस्ला भारतीय ग्राहकों की नब्ज पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है?
टेस्ला की भारत में धीमी बिक्री: आंकड़े बता रहे कहानी
पिछले कुछ समय से भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में टेस्ला की एंट्री को लेकर जबरदस्त उत्साह था। उम्मीद थी कि इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में क्रांति लाने वाली यह कंपनी आते ही अपना सिक्का जमा लेगी। हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। सितंबर महीने से भारत में अपनी कारों की डिलीवरी शुरू करने के बाद, टेस्ला अब तक कुल 157 यूनिट्स ही बेच पाई है। यह आंकड़ा उस विशाल भारतीय बाजार के लिहाज से बेहद मामूली है, जहां लग्जरी सेगमेंट में भी इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
यह धीमी शुरुआत टेस्ला के लिए एक बड़ा संकेत है कि भारतीय उपभोक्ता वर्ग की अपेक्षाएं और बाजार की गतिशीलता पश्चिमी देशों से काफी भिन्न है। कंपनी को शायद अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वह इस प्रतिस्पर्धी माहौल में अपनी जगह बना सके।
भारतीय लग्जरी इलेक्ट्रिक वाहन बाजार: कड़ा मुकाबला और नई चुनौतियां
भारत का लग्जरी इलेक्ट्रिक वाहन बाजार भले ही अभी अपनी शुरुआती अवस्था में हो, लेकिन यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है। मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी और पोर्श जैसे स्थापित खिलाड़ी पहले से ही अपने इलेक्ट्रिक मॉडल के साथ मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। ऐसे में टेस्ला को सीधे तौर पर इन दिग्गजों से मुकाबला करना पड़ रहा है। यही नहीं, नए खिलाड़ी भी इस बाजार में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, विनफास्ट (VinFast) जैसी कंपनियां भी भारत में अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं, जिसने वैश्विक स्तर पर टेस्ला को कड़ी चुनौती दी है।
भारतीय ग्राहकों के लिए सिर्फ ब्रांड वैल्यू ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, विश्वसनीय आफ्टर-सेल्स सर्विस और आकर्षक कीमत भी चाहिए। टेस्ला के लिए इन सभी मोर्चों पर खुद को साबित करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। अत्यधिक कीमत और सीमित मॉडल विकल्प भी इसकी धीमी रफ्तार के पीछे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
क्या एलन मस्क को बदलनी होगी भारत के लिए अपनी रणनीति?
टेस्ला की धीमी शुरुआत के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या एलन मस्क को भारत के लिए अपनी रणनीति बदलनी होगी? वैश्विक स्तर पर टेस्ला ने डायरेक्ट-सेल्स मॉडल और अपने सुपरचार्जर नेटवर्क के जरिए सफलता पाई है। लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जहां ग्राहक अक्सर डीलरशिप के जरिए खरीदारी पसंद करते हैं और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी विकासशील अवस्था में है, यह मॉडल पूरी तरह फिट नहीं बैठता।
विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ला को भारत में स्थानीयकरण पर अधिक ध्यान देना होगा। इसमें स्थानीय स्तर पर कारों का निर्माण या असेंबली, किफायती मॉडल पेश करना और भारत-विशिष्ट चार्जिंग समाधान विकसित करना शामिल हो सकता है। जब तक टेस्ला भारतीय बाजार की जटिलताओं को नहीं समझेगी और उसके अनुरूप अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं करेगी, तब तक उसके लिए इस तेजी से बढ़ते बाजार में अपनी पूरी क्षमता का एहसास करना मुश्किल होगा। भारत का इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में योगदान देने की टेस्ला की क्षमता बहुत अधिक है, लेकिन इसके लिए एक अनुकूलित दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।


