सुपौल, देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। एक तरफ जहां वेंटिलेटर नहीं होने के कारण देश के बड़े बड़े अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है, वही दूसरी तरफ सदर अस्पताल सुपौल में जून 2020 में मुहैया कराए गए 6 वेंटिलेटर 10 माह बाद भी इंस्टॉल नहीं किया गया है। यही कारण है कि सुविधा के अभाव में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है।
कोरोना की दूसरी लहर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में अब तक 13 मरीज की मौत हो चूंकि है। डीपीएम जिला स्वास्थ्य समिति बाल कृष्ण चौधरी ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि वेंटिलेटर का ऑक्सीजन पाइप नहीं लगा है।डॉक्टर और टेक्नीशियन की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई है इन समस्याओं के निदान के लिए विभाग को लिखा गया है। अब सवाल उठता है कि क्या जिले में बिना डॉक्टर और टेक्नीशियन को प्रतिनियुक्त किए वेंटिलेटर जिलेवासियों को भरोसा दिलाया के लिए भेज दिया गया?
सदर अस्पताल सुपौल की स्थिति यह है कि अगर कोई इस अस्पताल में पहुंचे तो पहली नजर में यहां के बिल्डिंग को देख यही कहेगा कि काश इसी तरह की सुविधा सब जगह होता। लेकिन अंदर प्रवेश करते ही सच्चाई की परत खुलने लगती है। एक तरफ कोरोना वायरस की रफ्तार तेज होती जा रही है दूसरी तरफ सदर अस्पताल में सुविधा के अभाव में आर्थिक रूप से लाचार लोग काल के गाल में समा रहे हैं। समर्थवान लोग तो किसी तरह बड़े बड़े अस्पताल व नर्सिंग होम में जाकर इलाज करा लेते हैं, लेकिन गरीब लोग चाहकर भी अपने परिजन का बेहतर इलाज नहीं करा रहे हैं।
वेंटिलेटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। पहला मेकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन।सिविल सर्जन डॉ ज्ञान शंकर ने बताया कि सदर अस्पताल में मेकेनिकल वेंटिलेटर है। मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दिया जाता है, जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है।
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