बिहार की राजनीतिक गलियों में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का एक ऐसा नाम है जो संगठन के भीतर कई मोर्चों पर सक्रिय है। यह शख्सियत कोई और नहीं बल्कि ‘आचार्य’ हैं, जिनकी पार्टी में पैठ और सक्रियता चर्चा का विषय बनी हुई है। आखिर कौन हैं ‘आचार्य’ और क्या हैं उनकी प्रमुख भूमिकाएं?
जदयू के भीतर ‘आचार्य’ की पहचान सिर्फ एक पद तक सीमित नहीं है। वे पार्टी के प्रदेश सचिव के महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं, जो उन्हें संगठन की रणनीति और जमीनी स्तर के कार्यों में अहम भागीदार बनाता है।
संगठन और सामाजिक मंच पर सक्रियता
प्रदेश सचिव होने के अलावा, ‘आचार्य’ पार्टी के राजनीतिक सलाहकार की भूमिका भी निभा रहे हैं। यह जिम्मेदारी उनकी राजनीतिक समझ और पार्टी नेतृत्व के प्रति भरोसे को दर्शाती है। उनकी सलाह पार्टी की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इतना ही नहीं, ‘आचार्य’ का प्रभाव सिर्फ पार्टी के भीतर तक ही सीमित नहीं है। वे भोजपुरी-पूर्वांचल एकता मंच के संयोजक भी हैं, जिसके माध्यम से वे क्षेत्रीय मुद्दों और सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहते हैं। यह मंच भोजपुरी और पूर्वांचल क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करने और उनकी आवाज को बुलंद करने का काम करता है।








