औरंगाबाद के महिला थानाध्यक्ष कुमकुम कुमारी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एसपी स्वप्ना जी मेश्राम द्वारा पुअनि संगीता कुमारी पर कारवाई के बाद वह मानसिक रूप से व्यथित है।
पुअनि संगीता का कहना है कि आखिर उसने कौन सा ऐसा कसूर किया कि जिसकी सजा उसे मिली है। पुअनि संगीता कुमारी ने इस बाबत आईजी को आवेदन देते हुये न्याय की गुहार लगाई है।
आईजी को दिये आवेदन में उन्होंने स्पष्ट किया है कि थानाध्यक्ष कुमकुम कुमारी लगातार उसे मानसिक प्रतारणा दें रही थी और वरीय पदाधिकारियों से भी झूठ सांच बोलकर उसे गुमराह कर रही थी।
पुअनि संगीता ने दिये आवेदन में कहा है कि जब एसपी साहब उसे अपर थानाध्यक्ष के रूप में महिला थाना में पदस्थापित किये तब से महिला अध्यक्ष को चुभन होने लगी। पुअनि संगीता ने कहा कि दलालों के चक्रव्यूह से महिला थाना घिरा हुआ है जिसका में हमेशा से विरोध करते आई हुं।
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि छः अप्रेल को जब एक आवेदन बबलू मिस्त्री द्वारा थाने में लिया गया और जांच कर्ता मुझे बनाया गया तो मेरे द्वारा विरोध किया गया और कहा गया कि बबलू मिस्त्री का आवेदन यहां स्वीकार योग्य नहीं है।
इन्हें संबंधित थाना को भेजा जाय। इस कारण थानाध्यक्ष कुमकुम कुमारी नाराज हो गई और इस मामले की जांच पपुअनि चिंता कुमारी को दें दिया गया। इस आवेदन में बबलू मिस्त्री ने मुन्ना आलम को आरोपित किया था।
पुअनि संगीता ने कहा है कि 15मई के साढ़े नौ बजे रात्रि में मुन्ना आलम को पकड़कर थाना लाया गया था। उन्होंने दिये आवेदन में कहा है कि 16मई को जब उनकी डयूटी थी तो मुन्ना की तबियत बिगड़ गई, इस बात की सूचना उन्होंने महिला थानाध्यक्ष समेत पुलिस अंचल निरीक्षक, एसडीपीओ सदर एवं गोपनीय रीडर को दी गई तत्पश्चात मुन्ना को सदर अस्पताल में भेजा गया।
वहां से इलाज कराकर मुन्ना को सिरिस्ता में रखा गया। पुअनि संगीता का कहना कि जब महिला थानाध्यक्ष कुमकुम को इस बात की जानकारी दी गई थी उस वक्त उन्होंने कहा था कि में पटना से लौट रही हुं तत्पश्चात मामला देखेंगे।
उन्होंने आवेदन में यह भी कहा है कि जब वह ओडी समाप्त कर अपने आवास चली गई तो कुछ घंटे बाद थानाध्यक्ष महोदय द्वारा मुझे बताया गया कि मुन्ना को छोड़ दिया गया है। इस मामले का सभी प्रत्यक्ष थाना में लगे सीसीटीवी को देखकर लगाया जा सकता है?
अब सवाल उठता है कि मुन्ना का तबियत जब बिगड़ा तब पुअनि संगीता ने इसकी जानकारी पुलिस अंचल निरीक्षक ,सदर एसडीपीओ को दी। जब यह जानकारी दोनों वरीय पुलिस पदाधिकारियों को दी गई होगी तब दोनों पदाधिकारियों को महिला थानाध्यक्ष से यह
पूछना चाहिये था कि पुरुषों का आवेदन महिला थाना में आपने कैसे लिया।
इस पूरे प्रकरण में एसपी स्वप्ना जी मेश्राम ने बिना जांच किये या यू कहें कि महिला थानाध्यक्ष के प्रभाव में आकर निर्दोष अपर थानाध्यक्ष संगीता कुमारी पर कारवाई कर दी।अब आईजी साहब पर यह निर्भर है कि इस प्रकरण की विधिवत जांच कराकर कारवाई दोषियों पर करेंगे या नहीं ?
इस प्रकरण में पुअनि संगीता पर कारवाई के बाद पुलिस विभाग के कर्मियों का मनोबल टूट गया है। वहां के सेंकड़ों पुलिस कर्मी कहते है कि विभाग का सर ऊंचा करने के लिये जो पुलिसकर्मी ईमानदारी से काम करते है।
ऐसे परिस्थिति में कौन काम कर सकता है ?आई जी को दिये आवेदन में पुअनि संगीता ने और भी कई आरोप महिला थानाध्यक्ष पर लगाई है। उन्होंने आईजी से अनुरोध किया है कि सभी मामलों में निष्पक्षता से जांच कराकर मुझे न्याय देने की कृपा करें।