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दिसम्बर, 26, 2025

Scientific Farming: भागलपुर में आधुनिक कृषि संगोष्ठी

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Scientific Farming: अन्नदाता के खेतों में अब विज्ञान की किरणें फूटेंगी, जो न सिर्फ फसल की पैदावार बढ़ाएगी बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी नया जीवन देगी। भागलपुर के ई-किसान भवन में आयोजित किसान संगोष्ठी में कुछ ऐसी ही उम्मीदों और संभावनाओं पर मंथन किया गया।

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आधुनिक खेती से बदलेगी किस्मत: भागलपुर में Scientific Farming पर मंथन

भागलपुर के ई-किसान भवन में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य विषय ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान व जय अनुसंधान’ था, जिसका उद्देश्य किसानों को आधुनिक और सतत कृषि पद्धतियों की ओर प्रेरित करना था। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किसानों को प्राकृतिक और वैज्ञानिक खेती अपनाने पर विशेष जोर दिया। इस पहल से न केवल कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि यह भूमि की उर्वरता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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Scientific Farming: प्राकृतिक और वैज्ञानिक खेती का संगम

इस संगोष्ठी में शामिल कृषि विशेषज्ञों ने विस्तार से बताया कि कैसे प्राकृतिक खेती और Scientific Farming के सिद्धांतों को एक साथ लागू करके किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रख सकते हैं। उन्होंने नवीनतम कृषि तकनीकों, उन्नत बीज किस्मों, जैविक खाद के उपयोग और फसल चक्र प्रबंधन पर प्रकाश डाला। प्राकृतिक खेती, जो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त होती है, को पर्यावरण के अनुकूल बताया गया, जबकि वैज्ञानिक तरीकों से बेहतर उपज और गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।

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किसानों को संबोधित करते हुए, वक्ताओं ने कहा कि आज के समय में कृषि क्षेत्र में अनुसंधान (अनुसंधान) का महत्व और भी बढ़ गया है। नई-नई खोजें और तकनीकी नवाचार किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं। संगोष्ठी में उपस्थित किसानों ने भी अपनी समस्याएं और अनुभव साझा किए, जिन पर विशेषज्ञों ने व्यवहारिक समाधान सुझाए। इस दौरान कई सफल किसानों ने अपनी Natural Farming के सफल प्रयोगों के बारे में बताया, जिससे अन्य किसान भी प्रेरित हुए।

‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान व जय अनुसंधान’ का संकल्प

इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रसिद्ध नारे ‘जय जवान, जय किसान’ में ‘जय विज्ञान’ और ‘जय अनुसंधान’ को जोड़कर देश के वर्तमान कृषि परिदृश्य को रेखांकित करता है। यह दिखाता है कि कैसे देश की सुरक्षा, अन्न उत्पादन, वैज्ञानिक प्रगति और शोध एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। संगोष्ठी में मौजूद कृषि अधिकारियों ने किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी कार्यक्रमों की जानकारी दी, जिनका लाभ उठाकर वे आधुनिक कृषि उपकरण और तकनीकें अपना सकते हैं। इस अवसर पर कई किसानों को जागरूक करने के लिए पर्चे भी वितरित किए गए। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

इस कार्यक्रम का मुख्य जोर कृषि को केवल जीवनयापन का साधन न मानकर एक व्यावसायिक उद्यम के रूप में विकसित करने पर था। किसानों को बताया गया कि कैसे वे अपनी उपज को बेहतर तरीके से बाजार तक पहुंचा सकते हैं और मूल्य संवर्धन (value addition) के माध्यम से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। संगोष्ठी में किसानों की भारी भागीदारी ने यह दर्शाया कि वे नई तकनीकों और ज्ञान को ग्रहण करने के लिए उत्सुक हैं। यह आयोजन भागलपुर के कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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