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2 जुलाई, 2024
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भागलपुर के Traffic DSP Ashish Kumar समेत चार पर FIR

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संतोष पांडेय। पटना के कदमकुआं थाना (Kadmakuan Police Station) में भागलपुर ट्रैफिक डीएसपी आशीष कुमार (Traffic DSP Ashish Kumar) समेत 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। डीएसपी और अन्य पर एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और उनके मकान को लिखाने का दबाव डालने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया है।

भागलपुर ट्रैफिक डीएसपी आशीष कुमार समेत 4 पर एफआईआर, मकान लिखाने और मारपीट का आरोप

घटना का विवरण

69 वर्षीय विजय कुमार (Victim Vijay Kumar) ने बताया कि:

  • तारीख: 9 सितंबर 2024, शाम 5 बजे।
  • घटना:
    • वह अपने बीमार बेटे के साथ बैठे थे।
    • इस दौरान बड़ी बहू साधना सिंह (Sadhana Singh) अपने रिश्तेदार डीएसपी आशीष कुमार, कुंदन सिंह, अनीता सिंह और रौनक सिंह के साथ जबरदस्ती घर में घुसीं।
    • उनके और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की गई।
    • पिस्टल के बल पर 1000 रुपये के सादे स्टांप पेपर पर साइन कराने का आरोप।

घटना के बाद जब शोरगुल हुआ, तो पड़ोसियों की भीड़ इकट्ठा हुई। आरोपी मौके से फरार हो गए।

पुलिस और कोर्ट की भूमिका

  • थाने में शिकायत: घटना के तुरंत बाद विजय कुमार ने कदमकुआं थाना को सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  • कोर्ट का हस्तक्षेप:
    • विजय कुमार ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र (Petition) दायर किया।
    • 12 नवंबर: पटना एसएसपी को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश मिला।
    • 18 नवंबर: कदमकुआं थाना ने केस दर्ज किया।

एफआईआर में नामजद आरोपी:

  1. डीएसपी आशीष कुमार
  2. साधना कुमारी (बड़ी बहू)
  3. अनीता सिंह (बहू की मां)
  4. रौनक प्रताप सिंह
  5. अंशू देवी
  6. अभय प्रताप सिंह
  7. 5 अन्य अज्ञात लोग।

थानेदार राजीव कुमार ने कहा कि पुलिस निष्पक्षता से जांच कर रही है। दोषी पाए जाने पर विभागीय और कानूनी कार्रवाई होगी।

डीएसपी आशीष कुमार का पक्ष

डीएसपी आशीष कुमार ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा:

  • वह पटना छुट्टी पर गए थे।
  • अपनी भतीजी के बीमार पति को देखने गए थे।
  • किसी भी तरह की मारपीट या मकान लिखाने का दबाव नहीं बनाया।

एफआईआर में लगाई गई धाराएं

आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 126(2), 115(2), 308(2), 74, 76, 303(2), और 3(5) शामिल हैं।

निष्कर्ष

यह मामला बेहद संवेदनशील है, क्योंकि इसमें एक पुलिस अधिकारी (Police Official) पर गंभीर आरोप लगे हैं। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज होना न्यायिक प्रक्रिया के महत्व को दर्शाता है। पुलिस जांच की निष्पक्षता और तेज़ी से निर्णय इस प्रकरण में न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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