Mirza Ghalib News: शायरी की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो सदियों बाद भी अपनी चमक नहीं खोते, बल्कि हर दौर में और भी प्रखर होते जाते हैं। ऐसे ही एक नाम हैं उर्दू अदब के बेताज बादशाह मिर्जा गालिब।
मिर्जा गालिब: भागलपुर में मनी उर्दू के बेताज बादशाह की जयंती, डॉ. परवेज बोले- न हुआ है न होगा गालिब जैसा शायर
मिर्जा गालिब: अदब की दुनिया में एक अमर नाम
भागलपुर। कला और साहित्य की नगरी भागलपुर में उर्दू के अज़ीम शायर मिर्जा गालिब की 226वीं जयंती बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। बरहपुरा स्थित अंजुमन बाग़-ओ-बहार के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जौसर अयाग ने की।
इस अवसर पर अंजुमन के महासचिव डॉ. मो. परवेज ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू गजलगो शायरों में दबीर-उल-मुल्क और नज्म-उद-दौला मिर्जा गालिब जैसी शोहरत, मकबूलियत और अफ़ज़लियत किसी और को हासिल नहीं है। आज तक उर्दू अदब ने उनके जैसा शायर न तो पैदा किया है और न ही भविष्य में कोई कर सकेगा, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उनकी ग़ज़लों का जादू हर आम-ओ-ख़ास को अपनी तरफ़ खींचता है।
उनकी शायरी भूतकाल की यादें, वर्तमान का आईना और भविष्य का संकेत है। उनके कलाम में हमेशा एक ताज़गी महसूस होती है, जो उन्हें समकालीन बनाए रखती है। उनकी उर्दू शायरी का अनुवाद दुनिया की कई भाषाओं में हो चुका है और यह सिलसिला आज भी जारी है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मिर्जा गालिब अपनी दूरदर्शिता की वजह से आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में उन पर सेमिनार और शोध कार्य होते रहते हैं। वे आज भी हर शायर और हर पाठक के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज भी उनके कलाम की गहराई और सादगी लोगों को प्रभावित करती है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
जीवन परिचय और साहित्यिक विरासत
मिर्जा गालिब का असल नाम असदउल्ला खाँ था। उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 ईस्वी को आगरा में हुआ था और उनका निकाह दिल्ली में हुआ। उन्होंने अपनी आँखों से मुगल सल्तनत का पतन देखा था और वे बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर थे।
उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘दीवान-ए-ग़ालिब’, ‘खुतूत-ए-गालिब’, ‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ और ‘ऊद-ए-हिंदी’ शामिल हैं, जो उर्दू अदब की अनमोल धरोहर हैं। इस मौके पर मोहम्मद शादाब आलम, जौसर अयाग, डॉ. हबीब मुर्शीद खाँ, डॉ. नकी अहमद जॉन, मोहम्मद आमिर परवेज और मोहम्मद महबूब आलम सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मिर्जा गालिब की शायरी के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। इन सभी वक्ताओं ने उनके साहित्यिक योगदान और उर्दू शायरी पर उनके अद्वितीय प्रभाव पर प्रकाश डाला, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

