Workplace Harassment India: अक्सर समाज की दीवारों के पीछे, कार्यस्थल की चारदीवारी में कई ऐसी अनकही कहानियां दबी रह जाती हैं, जो महिला सशक्तिकरण के दावे को खोखला साबित करती हैं। अब इन कहानियों को आवाज़ देने और हर कामकाजी महिला को सम्मान का सुरक्षा कवच देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है।
कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा: ‘Workplace Harassment India’ कानून की बारीकियां
बिहार के नवगछिया में महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अनुमंडल विधिक सेवा समिति, व्यवहार न्यायालय नवगछिया ने ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013’ के संबंध में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस पहल का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को उनके अधिकारों और कानूनी सुरक्षा के बारे में जागरूक करना है। कार्यक्रम में पैनल अधिवक्ता श्रीमती रीता कुमारी ने इस महत्वपूर्ण कानून के प्रावधानों को विस्तार से समझाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अधिनियम महिलाओं को कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न से बचाने और उन्हें भयमुक्त माहौल प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इसमें यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने की एक स्पष्ट और सुव्यवस्थित प्रक्रिया भी निर्धारित है, ताकि कोई भी महिला बिना हिचकिचाहट अपनी बात रख सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
कानूनी सहायता और जागरूकता का महत्व
कार्यक्रम के दौरान, पारा लीगल स्वयंसेवक खगेंद्र कुमार पंडित ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को विधिक सहायता सेवाओं की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि आवश्यकता पड़ने पर महिलाएं किस प्रकार अनुमंडल विधिक सेवा समिति से मदद प्राप्त कर सकती हैं। यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी महिला कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण अपने अधिकारों से वंचित न रहे। इस जागरूकता कार्यक्रम में स्थानीय स्कूल के प्रधानाध्यापक सी पी एन चौधरी, शिक्षक-कर्मचारी और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। सभी प्रतिभागियों को महिलाओं के मौलिक अधिकारों, कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee – ICC) की भूमिका और इस कानून का कड़ाई से पालन करने की अनिवार्यता के बारे में गहनता से जागरूक किया गया। आयोजकों ने स्पष्ट किया कि ऐसे आयोजनों का मुख्य ध्येय समाज में कानूनी समझ को बढ़ाना और महिलाओं को उनके हक़ों के प्रति सजग करना है, ताकि वे निर्भीक होकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें। यह एक ऐसा प्रयास है जो जमीनी स्तर पर Workplace Harassment India की समस्या से निपटने में सहायक सिद्ध होगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।





